जयपुर: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में अंदरुनी कलह का जिन्न एक बार फिर बाहर आने वाला है क्योंकि पार्टी में एक बार फिर से बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। साढ़े चार महीने पहले कांग्रेस का अंदरुनी बवंडर सड़क पर आया था। उसका असर अब सामने आने लगा है। जलदाय मंत्री डॉ. महेश जोशी के पास विधानसभा के मुख्य सचेतक का पद भी था। शुक्रवार 17 फरवरी को सदन चल रहा था और इसी दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महेश जोशी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। सूचना यह दी गई कि बजट सत्र शुरू होने से पहले महेश जोशी ने मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दिया था जिसे अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंजूर कर लिया है। इसे इस्तीफे के पीछे का जो बड़ा कारण प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने बताया। उसके बाद सियासी हलचलें तेज हो गई है।रंधावा ने माना – महेश जोशी का इस्तीफा कार्रवाई का हिस्सा हैकांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा शनिवार को जयपुर में थे। सर्किट हाउस में मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने माना किया कि मुख्य सचेतक पद से महेश जोशी का जो इस्तीफा स्वीकार किया गया है, यह उन पर की जाने वाली कार्रवाई का हिस्सा भी है और एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला लागू करना भी है। मीडियाकर्मियों की ओर से जब उनसे यह पूछा गया कि महेश जोशी पर कार्रवाई के बाद अब अन्य नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कब होगी। इसका जबाव देते हुए रंधावा ने कहा कि यह निर्णय हाईकमान को करना है क्योंकि यह मामला उनके प्रदेश प्रभारी बनने से पहले का है। एक कार्रवाई हुई, बाकि कार्रवाई कब होगी – महेश जोशीमुख्य सचेतक पद से इस्तीफा स्वीकार करने के पीछे जो कारण प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा की ओर से बताया गया। इसके बाद महेश जोशी ने भी सवाल उठाए हैं। जलदाय मंत्री महेश जोशी ने पूछा है कि अगर उनका इस्तीफा स्वीकार करना उनके खिलाफ की गई कार्रवाई का हिस्सा है तो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी जिन्होंने कांग्रेस को कमजोर करने और तोड़ने की कोशिशें की थी। उन्होंने कहा कि अब पूरे राजस्थान को हाईकमान से इस बात का इंतजार है कि अगर एक कार्रवाई हुई है तो बाकी कब होगी। जोशी ने यह भी कहा कि मंत्री बनने के बाद उनके पास दो पद आ गए थे। लम्बे समय से वे एक पद से मुक्त करने की बात कह रहे थे। इसीलिए बजट सत्र शुरू होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था जिसे सत्र चलने के दरमियान स्वीकार किया गया।सचिन पायलट ने हाईकमान पर उठाए थे सवालदो दिन पहले सचिन पायलट ने एक न्यूज एजेंसी को इंटरव्यू देते समय कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठाए थे। पालयट ने कहा कि सितंबर 2022 में जो पार्टी में जो घटनाक्रम और अनुशासनहीनता हुई थी, उस मामले में कांग्रेस हाईकमान ने शीघ्र कार्रवाई की बात कही थी। चार महीने गुजरने के बाद भी हाईकमान ने अनुशासनहीनता करने वालों के बारे में कोई फैसला नहीं लिया। अब अत्यधिक देरी हो चुकी है। हाईकमान को जो भी फैसला करना हो, शीघ्र करना चाहिए क्योंकि पार्टी के कार्यकर्ता फैसले का इंतजार कर रहे हैं। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)