
नेताओं की बयानबाजी और सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसकी पत्नी और बेटी के साथ जुलाई 2016 में बुलंदशहर के पास हाईवे पर कथित तौर पर गैंगरेप हुआ था। इसमें गैंग-रेप केस को राजनीतिक साजिश बताने वाले आजम खां के विवादित बयान के लिए उनके खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की गई थी। जस्टिस रामासुब्रमण्यन ने बहुमत का फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत प्रतिबंधों को छोड़कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक मंत्री के बयान को अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के सात नहीं जोड़ा जा सकता है। मंत्री स्वयं बयान के लिए उत्तरदायी है। संविधान पीठ ने किसी सार्वजनिक पद पर आसीन व्यक्ति के भाषण या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रतिबंध लगाए जाने के सवाल पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया।
जस्टिस नागरत्ना का अलग फैसला
हालांकि पीठ में शामिल जस्टिस बी वी नागरत्ना ने एक अलग आदेश लिखा। उन्होंने कहा कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक अधिकार है ताकि नागरिकों को शासन के बारे में अच्छी तरह जानकारी हो। हालांकि नफरत फैलाने वाला भाषण असमान समाज का निर्माण करते हुए मूलभूत मूल्यों पर प्रहार करता है और विविध पृष्ठभूमियों, खासतौर से हमारे ‘भारत’ जैसे देश के नागरिकों पर भी प्रहार करता है।
ऐसे में उन्होंने बहुमत के खिलाफ फैसला देते हुए कहा कि अगर कोई मंत्री अपमानजनक बयान देता है, तो ऐसे बयानों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हालांकि, अगर मंत्रियों के बयान छिटपुट टिप्पणियां हैं जो सरकार के रुख के अनुरूप नहीं हैं, तो इसे व्यक्तिगत टिप्पणी माना जाएगा।
जस्टिस नागरत्ना ने घृणा फैलाने वाले भाषणों के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक पद पर बैठा शख्स अगर कोई अविवेकपूर्ण बयान देता है तो नागरिक प्रभावित होंते हैं। इसी दौरान उन्होंने नेताओं और सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों को नसीहत देते हुए कहा कि ऐसा बोलिए जो भगवान को भी ठीक लगे। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि सरकारी पदाधिकारियों और दूसरे प्रभावशाली लोगों और सिलेब्रिटियों को अपनी पहुंच और असर को ध्यान में रखते हुए बोलते समय ज्यादा संयम और जिम्मेदारी बरतनी चाहिए। उन्हें जन भावनाओं पर असर जैसे परिणाम को ध्यान में रखते हुए बोलना और बर्ताव करना चाहिए। उन्हें ऐसा उदाहरण पेश करना चाहिए जिसका लोग पालन करें।