काम से लेकर चुनाव तक… सिसोदिया के रहते टेंशन फ्री थे केजरीवाल, अब कैसे संभालेंगे AAP?

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के नेता पहले से मानकर चल रहे थे कि डेप्युटी चीफ मिनिस्टर मनीष सिसोदिया को सीबीआई गिरफ्तार कर सकती है। हालांकि कथित शराब नीति घोटाले में सिसोदिया की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, 33 में से 18 सरकारी विभाग संभाल रहे सिसोदिया न सिर्फ अकेले अपने कंधों पर सरकार की जिम्मेदारी उठा रहे थे बल्कि पूरा कामकाज संभालने की उनकी दक्षता के चलते ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली-पंजाब से बाहर भी पार्टी के विस्तार पर ध्यान दे पा रहे थे।

सिसोदिया की तुलना में केजरीवाल कैबिनेट के दूसरे मंत्रियों- कैलाश गहलोत, गोपाल राय, इमरान हुसैन और राजकुमार आंनद के पास उतनी जिम्मेदारी नहीं है। वैसे, गहलोत छह पोर्टफोलियो देख रहे हैं, जिसमें परिवहन और राजस्व शामिल हैं। आनंद के पास चार, राय के पास तीन और हुसैन के पास केवल दो हैं। CM केजरीवाल के पास कोई विभाग नहींकेजरीवाल ने कभी कोई पोर्टफोलियो नहीं लिया और पार्टी पॉलिटिक्स पर ही पूरा ध्यान दिया है।

इसके पीछे बड़ी बात यह थी कि उनके डेप्युटी ने ही सरकार की कमान संभाल रखी थी। सिसोदिया स्कूल, अस्पताल से लेकर वित्त, योजना और दूसरे क्षेत्रों के कार्यक्रमों को देख रहे थे। जब पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग केस में पिछले साल मई में गिरफ्तार किया गया तो केजरीवाल ने उनकी जिम्मेदारी भी किसी और पर नहीं डाली। सीएम ने जैन का पूरा कामकाज अपने डेप्युटी को ही ट्रांसफर कर दिया।

अब सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या केजरीवाल किसी दूसरे मंत्री को उनके डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी सौंपेंगे? या फिर वह सिसोदिया और जैन की जगह नया चेहरा लाएंगे? अगले कुछ दिनों में इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार TOI को बताया कि 19 फरवरी को पहली बार जब सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था, तब से गहलोत ने सिसोदिया की हर बैठक में हिस्सा लिया।

इस दौरान बजट और दूसरे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर चर्चा हुई। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब जैन की जगह केजरीवाल किसी को नहीं लाए, जो करीब 9 महीने से जेल में है तो सिसोदिया को हटाकर नए चेहरे को लाने की संभावना बिल्कुल नहीं है।आम आदमी पार्टी के एक नेता ने कहा कि अभी स्पष्ट रूप से कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। हम जल्द ही बेल के लिए अर्जी दाखिल करेंगे। अगर कुछ दिनों में मनीष जी को बेल मिलती है तो उनका पोर्टफोलियो किसी और को देने का सवाल ही नहीं उठता है। हालांकि अगर डेप्युटी सीएम 7-8 महीने के लिए जेल में जाते हैं, जैसा केजरीवाल और सिसोदिया आशंका जता चुके हैं, तो सीएम को लंबे समय के लिए प्लानिंग करनी होगी।

एक नेता ने कहा कि सिसोदिया की गिरफ्तारी का अंदेशा पार्टी को पहले से ही था, ऐसे में पार्टी और सरकार को लेकर सीएम और उनके डेप्युटी के बीच पिछले कई दिनों से मंथन चल रहा था। पिछले कुछ दिनों में दोनों नेताओं ने लंबी बैठकें की थीं और ऐसा लगता है कि उन्होंने आगे का रोडमैप तैयार कर लिया होगा। फिलहाल दिल्ली की आप सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि विधानसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट कौन पेश करेगा। 2015 में AAP की सरकार बनने के बाद से ही सिसोदिया हर साल बजट पेश करते आ रहे हैं।

सूत्रों ने बताया है कि पिछले दिनों उन्होंने कई बैठकें कर दस्तावेज तैयार कर लिए थे। एक अन्य पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘अगर मनीष जी को जल्दी बेल नहीं मिलती है तो मुख्यमंत्री को वित्त विभाग किसी दूसरे मंत्री को देना होगा जिससे बजट को समय पर पेश किया जा सके। वह खुद भी इस जिम्मेदारी को उठा सकते हैं।’ सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति में केजरीवाल को पार्टी विस्तार छोड़ खुद कुछ विभागों को देखना होगा।

समझा जा रहा है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी से कई रोजगार से संबंधित योजनाएं लटक सकती हैं। पिछले साल इसकी घोषणाएं की गई थीं और अब इसे लागू किया जाना था। यमुना की सफाई, 24 घंटे पानी की आपूर्ति, घर को पाइप से पानी, नई स्कूल बिल्डिंग का निर्माण, नए अस्पताल, नागरिकों के लिए ई-हेल्थ कार्ड, बुजुर्गों के लिए फ्री पैथालॉजी टेस्ट, कई सड़क परियोजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं। जी-20 से संबंधित कई कार्यक्रम होने हैं। मुख्य इवेंट भी दिल्ली में होना है। सड़कों की मरम्मत, फ्लाईओवर, फुटपाथ का काम किया जाना है लेकिन सिसोदिया के जेल में होने से ये सब प्रभावित हो सकता है।

लोकसभा चुनाव भी करीब है। ऐसे में पार्टी के चुनावी प्लान को भी सिसोदिया के जेल में होने से झटका लग सकता है। केजरीवाल थर्ड फ्रंट की कोशिश करते दिखे हैं लेकिन अब उन्हें सरकार पर ज्यादा ध्यान देना होगा। 2023 में ही कई राज्यों में चुनाव होने हैं। केजरीवाल आगामी हफ्तों में कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान, एमपी जाने वाले हैं, लेकिन इस स्थिति में चुनौतियां बढ़ने वाली हैं।