बिपरजॉय से लेकर इंदिरा गांधी की इमर्जेंसी तक, पढिए ‘मन की बात’ में क्या बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कार्यक्रम के 101 वें एपिसोड को संबोधित कर रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि वो मन की बात कार्यक्रम को महीने के आखिरी रविवार से पहले ही संबोधित कर रहे हैं। दरअसल प्रधानमंत्री अमेरिका यात्रा पर जाने वाले हैं। इसलिए इस कार्यक्रम का प्रसारण पहले ही किया जा रहा है। मन की बात कार्यक्रम में पीएम ने गुजरात में आए चक्रवात बिपरजॉय का जिक्र करते हुए कहा कि बड़े से बड़ा लक्ष्य हो, कठिन-से-कठिन चुनौती हो, भारत के लोगों का सामूहिक बल, सामूहिक शक्ति, हर चुनौती का हल निकाल देता है। बिपरजॉय ने कच्छ में कितना कुछ तहस-नहस कर दिया, लेकिन, कच्छ के लोगों ने जिस हिम्मत और तैयारी के साथ इतने खतरनाक Cyclone का मुक़ाबला किया, वो भी उतना ही अभूतपूर्व है।पढ़िए मन की बात के अपडेट- उन्होंने कहा कि ऐसे तो ‘मन की बात’ हर महीने के आखिरी रविवार को होता है, लेकिन, इस बार एक सप्ताह पहले ही हो रहा है। आप सब जानते ही हैं, अगले हफ्ते मैं अमेरिका में रहूंगा और वहाँ बहुत सारी भाग-दौड़ भी रहेगी और इसलिए मैंने सोचा, वहां जाने से पहले आपसे बात कर लूं, और इससे बढ़िया क्या होगा? जनता-जनार्दन का आशीर्वाद, आपकी प्रेरणा, मेरी ऊर्जा भी बढ़ती रहेगी।- पीएम ने कहा, प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबला करने का एक बड़ा तरीका है – प्रकृति का संरक्षण। आजकल, मॉनसून के समय में तो, इस दिशा में, हमारी ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। इसीलिए ही आज देश, ‘Catch the Rain’ जैसे अभियानों के जरिए सामूहिक प्रयास कर रहा है। साथियो, ये नदी, नहर, सरोवर, ये केवल जल-स्त्रोत ही नहीं होते हैं, बल्कि इनसे, जीवन के रंग और भावनाएं भी जुड़ी होती हैं।- उन्होंने कहा कि जब प्रबंधन की बात हो रही है, तो मैं, आज, छत्रपति शिवाजी महाराज को भी याद करूंगा। छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता के साथ ही उनकी Governance और उनके प्रबंध कौशल से भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। इस महीने की शुरुआत में ही छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 वर्ष पूरे हुए हैं। इस अवसर को एक बड़े पर्व के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में इससे जुड़े भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। यह हम सबका कर्तव्य है कि इस अवसर पर हम छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रबंध कौशल को जानें, उनसे सीखें। इससे हमारे भीतर, हमारी विरासत पर गर्व का बोध भी जगेगा, और भविष्य के लिए कर्तव्यों की प्रेरणा भी मिलेगी।- मन की बात में प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त भारत कैंपेन का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने संकल्प किया है 2025 तक टी.बी. मुक्त भारत बनाने का… लक्ष्य बहुत बड़ा ज़रूर है। एक समय था जब टी.बी. का पता चलने के बाद परिवार के लोग ही दूर हो जाते थे, लेकिन ये आज का समय है, जब टी.बी. के मरीज को परिवार का सदस्य बनाकर उनकी मदद की जा रही है।