मोदी की राह पर बढ़ेंगे दोस्‍त नेतन्‍याहू! रूस-इजरायल में करीबी के संकेत, अमेरिका को झटका

तेलअवीव: यूक्रेन युद्ध के बीच दुनिया स्‍पष्‍ट रूप से दो खेमों में बंट गई है। एक तरफ वे देश हैं जो यूक्रेन पर रूसी हमले की जमकर निंदा कर रहे हैं और जेलेंस्‍की को जमकर हथियार दे रहे हैं। वहीं भारत जैसे ऐसे देश भी हैं जिन्‍होंने रूसी कार्रवाई की निंदा तो नहीं की है लेकिन वैश्विक और द्विपक्षीय मुलाकातों में पुतिन को जमकर सुना दिया है। पीएम मोदी के बयान ‘यह दौर युद्ध का नहीं है’ की दुनियाभर में चर्चा हुई थी। अब इजरायल में नई सरकार आई है और पीएम मोदी के दोस्‍त बेंजामिन नेतन्‍याहू सत्‍ता में फिर से आए हैं। दक्षिणपंथी नेतन्‍याहू के सत्‍ता में आने के बाद कई विश्‍लेषक अब यह कह रहे हैं कि उनके नेतृत्‍व में इजरायल रूस के साथ दोस्‍ती को मजबूत कर सकता है। इजरायल की विदेश नीति में बदलाव का यह संकेत 2 जनवरी को नए विदेश मंत्री के पहले सार्वजनिक भाषण में मिला। इजरायली विदेश मंत्री इली कोहेन ने कहा कि नई सरकार तब कम बोलेगी जब रूस और यूक्रेन का मामला आएगा। इस तरह से उन्‍होंने संकेत दिया कि नेतन्‍याहू प्रशासन इस विवाद में सार्वजनिक तौर पर कोई रुख लेने से परहेज करेगा। कोहेन ने यूक्रेन के विदेश मंत्री से बातचीत करने से पहले अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत की।

रूस को और ज्‍यादा सकारात्‍मक संकेत भेज रहे नेतन्‍याहू

विशेषज्ञों का कहना है कि इजरायल के इस फैसले से यूक्रेन की टेंशन बढ़ सकती है। बार इलान यूनिवर्सिटी में राजनीतिक मामलों के प्रमुख जोनाथन रयनहोल्‍ड ने कहा, ‘इजरायल की नई और पुरानी सरकारों में अंतर यह है कि नेतन्‍याहू के पहले की सरकार 100 फीसदी यूक्रेन के समर्थन वाली विचारधारा को मानती थी। पिछली सरकार बिना रूस को पूरी तरह से अलग थलग किए यूक्रेन की हर संभव मदद कर रही थी। नेतन्‍याहू सरकार विचारधारा को लेकर बहुत ज्‍यादा चिंतित नहीं है।’ अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताब‍िक इजरायल की नई सरकार रूस को और ज्‍यादा सकारात्‍मक संकेत भेजने जा रही है। इसके साथ साथ वह लंबे समय से चली आ रही विदेश नीति को बरकरार रख रही है। रयनहोल्‍ड ने कहा, ‘इजरायल के रूस और यूक्रेन को लेकर दो मुख्‍य राष्‍ट्रीय सुरक्षा हित हैं जिस पर देश में आम सहमति है। पहला अमेरिका के साथ अच्‍छे रिश्‍ते को बरकरार रखना और दूसरा रूस का यह मानना कि इजरायल को सीरिया के अंदर ईरानी सैनिकों और हथियारों को सैन्‍य रूप से निशाना बनाने की स्‍वतंत्रता है। इसके लिए इजरायल और रूसी सेनाओं के बीच सक्रिय समन्‍वय की जरूरत होगी ताकि दोनों सैनिकों के बीच में संघर्ष न हो जाए।’