दक्षिण से बहने वाली चुनावी हवाओं का रुख अब मध्य भारत की ओर है. भीषण गर्मी के बीच ये हवाएं ठंडक पहुंचाने की जगह चुनावी माहौल की गर्मी बढ़ा रही हैं. गर्मी के साथ ये हवाएं वो रणनीतियां, मुद्दे और बयानबाजी भी अपने साथ ला रही हैं, जिनपर कर्नाटक विधानसभा चुनवा में जनता की मुहर लग गई है. या जिन्हें उन्होंने खारिज कर दिया है.
दिल्ली से गोवा, गुजरात, उत्तराखंड और फिर हिमाचल होते हुए फ्रीबीज यानी मुफ्त में मिलने वाले लाभ की योजनाओं का मुद्दा कर्नाटक पहुंचा. फ्रीबीज के इस कन्सेप्ट पर खूब चर्चा हुई. जिसको इसका लाभ मिला उसने आगे भी इसको तीर बना अपने तरकश में रखा. वहीं जिसकों इसका स्वाद न भाया उन दलों ने इसे रेबड़ी कल्चर का नाम दिया.
2018 का चुनाव जीते थी कांग्रेस
कन्नड आवाम में कांग्रेस द्वारा फ्री बिजली देने के मुद्दे को स्वीकार किया और पार्टी को सत्ता की सीढ़ी तक पहुंचा दिया तो अब कांग्रेस इस मुफ्त रेवड़ी का स्वाद मध्य प्रदेश की जनता को भी चखाने के मूड में है. 2018 में चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बनने वाले कमलनाथ ने खुद ये ऐलान किया है.
कमलनाथ वो ही शख्स हैं, जिन्होंने पिछले चुनावों में ऐसे ही लोक लुभावने वादों के बूते सरकार तो बना ली थी, लेकिन उसे पांच साल चला न सके. बीच में ज्योतिरादित्य सिंधिया की सरपरस्ती में हुए घटनाक्रम ने उन्हें पद से बेदखल कर दिया और सूबे को शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक बार फिर बीजेपी की सरकार मिली.
सूबे में फिर चुनाव आ रहे हैं. माहौल वैसा ही है जैसा 2018 में शिवराज के खिलाफ था. वही सरकार, वही पार्टी और वही सीएम. कमलनाथ भी फिर सूबे की सत्ता की लगाम अपने हाथ में लेना चाहते हैं. इसके लिए वो मध्य प्रदेश की जनता को फिर से लोक लुभावने ऑफर दे रहे हैं. अब इन ऑफर्स का टेस्ट कर्नाटक में हो ही चुका है, तो इनकी प्रमाणिकता भी बढ़ जाती है.
‘100 यूनिट माफ, 200 यूनिट हाफ’
कमलनाथ का कहना है कि सूबे में उनकी सरकार बनती है तो 100 यूनिट तक बिजली बिल माफ कर दिए जाएंगे और 200 यूनिट की बिजली का आधा भुगतान करना होगा. इस ऐलान का लाभ लगभग पूरे मध्य प्रदेश को मिलेगा. ऐसे में ये वादा सूबे की सत्ता में काबिज शिवराज सरकार से ऊब जाने वाले लोगों को दूसरे विकल्प पर मजबूती से विचार करने का लालच भी देगा.
अगर इस फैसले पर सूबे की सरकार ने विचार किया तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस को अच्छा खासा लाभ मिल सकता है. वो भी ऐसे दौर में जब बीजेपी की स्थिति सूबे में वैसी मजबूत नहीं दिखाई दे रही है, जैसी शिवराज के दूसरे कार्यकाल के दौरान थी. बहरहाल इतना तो तय है कि कांग्रेस अब इस मुद्दे को खूब उठाएगी और हो सकता है बीजेपी इसके काउंटर में ऐसा ही कोई और ऑफर ला दे, लेकिन जिसने पहले तीर चलाया उसका निशाना लगने की संभावनाएं राजनीतिक दांव-पेंच में ज्यादा होती हैं.
AAP भी तो है मैदान में
यहां एक बात ये भी ध्यान में रखनी होगी कि आम आदमी पार्टी भी सूबे में संभावनाओं की तलाश कर रही है. निकाय चुनाव में मिलने वाली सफलताओं के बाद पार्टी का मध्य प्रदेश में कॉन्फिडेंस भी बढ़ा हुआ है. पार्टी सूबे की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर चुकी है. वहीं आम आदमी पार्टी के पास फ्रीबीज का सबसे बड़ा दिल्ली मॉडल भी है. ऐसे में कांग्रेस को फ्री बिजली के मामले में आम आदमी पार्टी से चुनौती मिल सकती है, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस बनाम बीजेपी में ही होने की संभावनाएं हैं. बहरहाल देखना ये होगा कि फ्री बिजली की रेबड़ी कांग्रेस को मिठास देगी या डायबिटीज सा मर्ज.