भारी-भरकम था कछुए का वजन
इस बारे में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है कि कछुआ कब विलुप्त हुआ था। लेकिन अध्ययन के मुताबिक इसकी टांग एक हजार साल पुरानी है। इस स्टडी के सह लेखक कैरेन सेमंड्स ने कहा, ‘जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बेहतर होती रहती है, वैसे-वैसे ही हम नए डेटा प्राप्त करते रहते हैं जो हमारा दृष्टिकोण बदलता है। कछुए के नई प्रजाति की खोज रोमांचक है।’ पश्चिमी हिंद महासार में ज्वालामुखी द्वीप और प्रवाल द्वीपसमूह एक समय विशाल कछुओं से भरा हुआ था। इनमें से कई का वजन 272 किग्रा तक होता था। अपनी बड़ी भूख के कारण वह आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करते थे।
हर साल खा जाते हैं लाखों किलो पौधे
एक लाख कछुए आज भी मेडागास्कर के उत्तर पश्चिमी इलाके में रह रहे हैं। यहां वह हर साल 1.18 करोड़ किग्रा पौधे खा जाते हैं। इस क्षेत्र की अधिकांश प्रजातियां अब मानवीय गतिविधियों के कारण विलुप्त हो चुकी हैं। जीवाश्म विज्ञानी अभी भी इन कछुओं का पता लगाने में लगे हैं। उनका कहना है कि अगर हम यह जानना चाहते हैं कि इन द्वीपों का पारिस्थितिक तंत्र मूल रूप से कैसा था तो हमें विशाल कछुओं को शामिल करना होगा। 17वीं शताब्दी ने खोजकर्ताओं ने कछुओं के जीवाश्म को खोजना शुरु किया था।