इमरान खान गिरफ्तारी को भूल जाइए… पाकिस्‍तान को टुकड़े-टुकड़े में बांट सकते हैं ये 6 संकट, विशेषज्ञ ने चेताया

इस्‍लामाबाद: पाकिस्‍तान इस समय बड़े संकट में है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के साथ ही उनके समर्थक भड़के हुए हैं। पाकिस्‍तान पहले ही इतिहास के सबसे बड़े आर्थिक संकट में घिरा हुआ है और उस पर से इस नए बवाल ने सबके माथे पर बल डाल दिए हैं। पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया की गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं और हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। इन सबके बीच अब यह सवाल पैदा हो गया है कि आखिर पाकिस्‍तान का क्‍या होगा। कुछ विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस समय देश ऐसी स्थिति में है जहां से इसका संभलना बहुत मुश्किल है। वहीं कुछ विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि साल 2023 पाकिस्‍तान के लिए खतरनाक साबित हो रहा है और देश के एक बार फिर टुकड़ों में बंटने का खतरा पैदा हो सकता है।राजनीतिक और आर्थिक संकट पाकिस्‍तान इस समय कई समस्‍याओं से गुजर रहा जिसमें से छह संकट सबसे अहम हैं। इनमें से पांच तो इंसानों ने पैदा किए हैं तो एक ऐसा है जो प्रकृति की देन है। इन संकटों की वजह से या तो पाकिस्‍तान के टुकड़े हो सकते हैं या फिर इस देश का अस्तित्‍व ही खत्‍म हो सकता है। प्रोफेसर मुक्तेदार खान जो इस समय अमेरिका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान और अंतरराष्‍ट्रीय संबंधों के जानकार हैं उन्‍होंने इन छह मुसीबतों के बारे में बताया है। प्रोफेसर मुक्‍तेदार खान के मुताबिक राजनीतिक संकट देश को सबसे बड़ी मुसीबत में डालने वाला है। कभी नहीं मिल पाएगा कर्ज उनका कहना है कि यह संकट खासतौर पर पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान की वजह से पैदा हुई है। इमरान को पिछले दिनों गिरफ्तार कर लिया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान कभी मार्च करते तो कभी रैली करते। उनकी वजह से देश में एक अजीब ही समस्‍या पैदा हो गई है। इसकी वजह से शासन ठीक से नहीं चल पा रहा है। देश की सरकार भी इमरान के साथ टकराव की स्थिति में है। देश पर आर्थिक संकट भी बहुत बड़ा है। पाकिस्‍तान में महंगाई बहुत ज्‍यादा है, देश की तरक्‍की बहुत ही कम है, विदेशी मुद्रा भंडार भी बहुत कम है। हालात ये हैं कि पाकिस्‍तान कुछ आयात करने की स्थिति में नहीं है। अगर देश डिफॉल्‍ट हुआ तो फिर आने वाले समय में इसे कभी कर्ज नहीं मिल पाएगा। सुरक्षा का संकट भी बड़ा सुरक्षा का संकट एक बहुत ही बड़ा मसला है। अफगान तालिबान के अलावा टीटीपी ने तो देश में एक नई सरकार घोषित कर दी है। टीटीपी के आतंकियों को अगर पाकिस्‍तान की सेना ने अफगानिस्‍तान में घुसकर मारा ता फिर तालिबान सरकार के साथ सीधा संघर्ष होगा। वहीं तालिबान को लगता है कि जब उसने अमेरिका को हरा दिया तो फिर पाकिस्‍तान क्‍या चीज है। तालिबान, पाकिस्‍तान से तब तक जंग लड़ेगा जब तक वह उसे पूरी तरह से डूबो नहीं देगा। पाकिस्‍तान ने आधी सेना पीओके की सुरक्षा में लगाई है तो आधी तालिबान के खिलाफ सुरक्षा देने में लगी है। ऐसे में आधी ताकत के साथ पाकिस्‍तान तालिबान से जंग कर पाएगा इस बात की गुंजाइश न के बराबर है। सिस्‍टम और पहचान का संकट पाकिस्‍तान में सिस्‍टम भी पूरी तरह से फेल हो चुका है और यह अपने आप में बड़ा संकट है। सरकार हो या सेना दोनों ही इस समय हर स्‍तर पर विफल साबित हो रहे हैं। हर संगठन अपने आपको सबकुछ बताने की कोशिशों में लगा है। देश की सरकार के ढांचे में भी काफी खामियां हैं। सरकार और सेना से अलग अब टीटीपी ने भी अपनी हुकूमत की घोषणा कर दी है। साथ ही पाकिस्‍तान में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो चाहते हैं कि देश में धर्मनिरपेक्षता हो। वहीं, कुछ ऐसे लोग हैं जो देश में शरिया कानून लगाना चाहते हैं। यह संकट भी अपने आप में काफी गहरा है।इसके अलावा प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़, भूकंप और तूफान भी सरकार और खजाने पर बोझ डालती हैं। इन आपदाओं की वजह से भी देश की स्थिति पर खासा असर पड़ता है। सितंबर 2022 में आई बाढ़ ने देश की आर्थिक स्थिति को बड़ी चोट पहुंचाई।