इस्लामाबाद/दिल्ली/ढाका: भारत में विनाशकारी बाढ़ से बुरा हाल है। दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब समेत देश के कई राज्यों में बाढ़ से हालात बहुत खराब हैं। इससे पहले पाकिस्तान में पिछले दिनों भयानक बाढ़ से एक तिहाई से ज्यादा देश डूब गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम में आ रहा भारी उतार- चढ़ाव अल नीनो की वजह से है। इस एल नीनो की वजह से मौसम गर्म हो रहा है और सूखा भी बढ़ रहा है। इससे आने वाले दिनों में पूरे एशिया में धान की फसल का उत्पादन गिर सकता है। इससे दुनियाभर में वैश्विक खाद्यान संकट पैदा हो सकता है जो अभी यूक्रेन युद्ध की मार से जूझ रही है। एपी की रिपोर्ट के मुताबिक एल नीनो एक प्राकृतिक और अल्पकालिक संकल्पना है जिसकी वजह से कभी-कभी प्रशांत महासागर में मौसम गरम हो जाता है। इससे वैश्विक मौसम के पैटर्न में बदलाव आ जाता है और जलवायु परिवर्तन इसे और ज्यादा मजबूत बना रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 4 में से एक 1 चांस है कि यह एल नीनो आश्चर्यजनक स्तर पर अभी बढ़ेगा। अल नीनो का बढ़ना दुनिया और खासकर एशिया में किसानों के लिए बुरी खबर है। एशिया में दुनिया का 90 फीसदी धान पैदा होता है और खाया जाता है। जितना ज्यादा एल नीनो मजबूत होगा, उतना कम बारिश एशिया में होगी। धान की पैदावार में गिरावट, एशिया में बढ़े दाम इसका धान की फसल पर बुरा असर पड़ने जा रहा है। धान की फसल को पानी की बहुत जरूरत होती है और बिना पानी के पैदावार गिर सकती है। इससे पहले भी एल नीनो की वजह से मौसम पर बहुत बुरा असर पड़ चुका है। इसकी वजह से जहां कुछ इलाकों में भारी बाढ़ आई, वहीं कई इलाकों में जमकर सूखा पड़ा है। इंटरनैशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट में एक शोध विश्लेषक अब्दुल्ला मामून कहते हैं, ‘पहले ही चेतावनी की घंटी बज चुकी है। उनका इशारा चावल की बढ़ती कीमतों की ओर था जो कम पैदावार की वजह से हुआ है। थाइलैंड में चावल की औसत कीमत 16 प्रतिशत बढ़ गई है। पिछले साल से ही दुनिया में चावल का स्टॉक कम हो गया है, इसकी बड़ी वजह पाकिस्तान में आई भयानक बाढ़ थी। पाकिस्तान चावल का एक बड़ा निर्यातक देश है। विशेषज्ञों का कहना है कि एल नीनो धान उत्पादक देशों की इस साल और ज्यादा संकट बढ़ाने वाला है। वह भी तब जब रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से पहले ही उर्वरकों का उत्पादन कम हो गया है। कुछ देशों ने चावल के निर्यात पर ही प्रतिबंध लगा दिया है। म्यामांर, कंबोडिया और नेपाल को लेकर खासतौर पर चेतावनी दी गई है। अल नीनो की मार से भारत भी हुआ बेहाल भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने कम बारिश के बाद पिछले साल चावल के निर्यात पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए थे जिससे इंडोनेशिया सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। यही नहीं भीषण गर्मी की वजह से गेहूं का उत्पादन ही कम हो गया था। इससे घरेलू खाद्यान कीमतें बढ़ने लगी थीं। पिछले महीने भारत ने कहा था कि वह 10 लाख मीट्रिक टन इंडोनेशिया, सेनेगल को खाद्यान भेजने जा रहा है। वहीं फर्टिलाइजर भी बढ़ी समस्या बन गया है, चीन जो बड़ा निर्यातकर्ता रहा है, उसने कई प्रतिबंध लगा दिए हैं। रूस और बेलारूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगे हैं। इससे पोटाश, फासफोरस और नाइट्रोजन की सप्लाई पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है।