कश्मीर में किसान बेहद प्रगतिशील हैं। कश्मीर में किसान एक ही फसल पर निर्भर रहने की बजाय तमाम तरह के प्रयोग करते रहते हैं और इस काम में उन्हें सरकार तथा प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिलता है। आजकल विदेशी बाजारों में ऑर्गेनिक सब्जियों की काफी मांग है इसलिए कश्मीर के किसान पारंपरिक जैविक खेती को पुनर्जीवित कर रहे हैं। देखा जाये तो पारंपरिक जैविक खेती कश्मीरी इतिहास और परम्पराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। सरकार ने इस ओर किसानों को फिर से आकृष्ट करने के लिए दो साल पहले कृषि निदेशालय लाल मंडी श्रीनगर में पहला जैविक सब्जी बाजार शुरू किया था। जैविक सब्जी बाजार शुरू करने का उद्देश्य यह था कि किसान अपने गुणवत्तापूर्ण उत्पाद को उचित स्थान पर बेच सकें और अच्छी आजीविका कमा सकें।इसे भी पढ़ें: Kashmir में कई जगह पारा शून्य से नीचे लुढ़का, ठंड और कोहरे के चलते लोगों की सुबह-शाम को दिक्कतें बढ़ींइस जैविक सब्जी बाजार में विदेशी सब्जियों की खूब बिक्री हो रही है क्योंकि सब इसके महत्व को जानते हैं। ग्राहकों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखते हुए उत्पादकों की मांग है कि बाजार में और स्टॉल लगाए जाएं ताकि अन्य उत्पादक भी अपने उत्पाद बेचने आएं और लोगों को भी एक ही छत के नीचे बड़े पैमाने पर सभी प्रकार की सब्जियां मिल सकें। देखा जाये तो कीटनाशकों या किसी अन्य उर्वरक पदार्थ से तैयार की गई आम सब्जियों की बजाय जैविक सब्जियां स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं। इसीलिए कृषि विभाग के विशेषज्ञ जैविक संस्कृति को बढ़ावा देने और लोगों को सब्जियों सहित जैविक उत्पादों के लाभों के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से जम्मू-कश्मीर सहित दुनिया भर में लोग सब्जियों और फलों पर उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को लेकर बहुत सतर्क हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे जैविक भोजन की ओर रुख कर रहे हैं। बहरहाल, कश्मीर में कृषि विभाग द्वारा उठाए गए कदमों से बागवान क्षेत्र से जुड़े लोग काफी खुश हैं और उन्हें भविष्य में और भी अच्छी प्रतिक्रिया की उम्मीद है।