नई दिल्ली: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल (Ajit Doval) के बेटे शौर्य डोभाल (Shaurya Doval) ने उनके ऊपर लग रहे परिवारवाद के आरोपों पर खुलकर जवाब दिया। शौर्य ने कहा कि मैं 1994 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज का इकनॉमिक्स टॉपर हूं। क्या ये परिवारवाद के कारण है? उन्होंने कहा कि परिवारवाद तो तब होता जब मैं अपने पिता की जगह देश का NSA बनता। मैं जो भी हूं और जहां भी हूं अपनी मेहनत से हूं। परिवारवाद के आरोपों का चुन-चुनकर दिया जवाब वीडियो न्यूज एजेंसी ANI के साथ इंटरव्यू के दौरान शौर्य ने कहा कि जब आप परिवारवाद का आरोप लगाते हैं तो आपको ये भी बताना होगा कि मुझे फायदा क्या मिला? परिवारवाद तो तब होता न जब मैं सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में प्रमोशन पा जाता। या फिर डेप्युटी NSA या देश का NSA बन जाता। उन्होंने कहा, ‘मैं 23 साल की उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट बना। मैं शिकागो यूनिवर्सिटी 1999 में गया और वहां बिजनेस स्कूल में एडमिशन लिया क्या ये परिवारवाद है? मैंने मॉर्गन स्टेनली और वॉल स्ट्रीट जनरल में नौकरी की क्या ये परिवारवाद है? पिता के NSA के सवाल पर भी दिया जवाब शौर्य ने कहा कि मैंने इंडिया थिंक टैंक 2009 में शुरू किया था। बीजेपी के सरकार में आने से 5 साल पहले। मुझे अपना जीवन जीने के लिए कुछ तो करना होगा। मैं अभी भी थिंक टैंक चला रहा हूं। अभी भी मैं अपना छोटा फर्म चला रहा हूं। मुझे क्या फायदा मिला? जिससे आप ये कह सकते हैं कि मुझे परिवारवाद का फायदा मिला? मेरे मां-बाप ने मुझे पढ़ाया तो वो उनकी जिम्मेदारी थी। मेरे पिता ने हिंदू कॉलेज में एडमिशन के लिए तो कुछ नहीं किया। हां, मेरे पिता देश के NSA हैं। लेकिन अगर वो चपरासी भी होते तो भी मेरे पिता होते। मैं टैक्सपेयर से पैसे नहीं लेता। मेरे पास टैक्सपेयर का कोई लाभ नहीं है। मैं जो भी अपने देश के लिए कर रहा हूं वो बतौर भारतीय कर रहा हूं। अजीत डोभाल के बेटे के रूप में मैं देश की सेवा करना जारी रखूंगा। उन्होंने कहा कि जब मेरे ऊपर आरोप लगते हैं कि आपने परिवारवाद किया तो किस प्रकार का परिवारवाद? मैं बीजेपी में भी शामिल हुआ तो बीजेपी में तो मैं कार्यकर्ता हूं। मुझे बीजेपी ने क्या दिया? हालांकि उन्हें देना भी नहीं चाहिए। मेरे पिता तो बीजेपी में रहे भी नहीं हैं। परिवारवाद तो तब लागू होता न जब मेरे पिता ये कहते हुए कि ये परिवार की पोजीशन है, मुझे देश का NSA बना देते। उन्होंने कहा कि यहां तक कि विधानसभा चुनाव के लिए मुझे टिकट तक नहीं मिला। इससे साबित होता है कि बीजेपी में परिवारवाद नहीं है। लोग मुझे बतौर शौर्य डोभाल के रूप में जानना चाहते हैं और क्या मैं उनकी उम्मीदों पर खरा उतर पाऊंगा या नहीं ये भी देखना चाहते हैं। परिवारवाद और संस्कार का मतलब समझाया शौर्य ने कहा कि हां, लोग मुझसे कुछ उम्मीद भी कर रहे होंगे। वो मुझे कायर के रूप में नहीं देखना चाहेंगे। वो मुझे झूठा नहीं देखना चाहेंगे। क्योंकि मैं अजीत डोभाल का बेटा हूं और ये स्टैंडर्ड में अपने जीवन में अभीतक बनाकर रखा हूं। लेकिन इसे परिवारवाद नहीं कहा जा सकता है, इसे तो संस्कार कहा जाता है। यह पूछने पर कि आपके पिता इतने बड़े हैं तो क्या इसका कोई बोझ लगता है? इसपर शौर्य ने कहा कि नहीं, मैं ऐसा नहीं सोचता हूं। अगर जवाहर लाल नेहरू पीएम होते और राहुल गांधी देश के बेस्ट वैज्ञानिक होते तो कौन कहता कि ये परिवारवाद है। ये तभी होता जब राहुल गांधी कहते कि मुझे पीएम की कुर्सी मिलनी चाहिए क्योंकि मेरे दादा और मेरी मां पीएम थे तो ये परिवारवाद होता। या किसी क्रिकेटर का बेटा कहता कि मुझे क्रिकेट टीम का हिस्सा बनाया जाए क्योंकि मेरे पिता इसका हिस्सा रहे हैं। तो ये परिवारवाद है। लेकिन किसी क्रिकेटर के बेटा को बेहतरीन नॉवेल लिखकर साहित्य का नोबेल जीतने से कोई नहीं रोक सकता। लोग चाहते हैं कि अगर आपके पिता महान कलाकार हैं तो आप खेल या किसी अन्य में बेहतर प्रदर्शन करें जिसमें आपने जाने का फैसला किया है।