अडानी के शेयरों में LIC का 1 रुपया भी नहीं डूबा! फिर क्यों मचा है कोहराम?

नई दिल्ली : एलआईसी को जबरदस्त घाटा… एलआईसी को ले डूबेगा अडानी… एलआईसी को हजारों करोड़ का नुकसान…। पिछले कुछ दिनों में आपने भी इस तरह की बातें सुनी होंगी। अब राजनीतिक पार्टियां भी मैदान में उतर चुकी हैं। सोमवार को कांग्रेस की एक स्थानीय इकाई ने एलआईसी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया। लेकिन क्या वास्तव में एलआईसी (LIC) डूब जाएगा या उसको भारी भरकम नुकसान हो गया है? जवाब है नहीं। एलआईसी का एक रुपया भी नहीं डूबा है। शेयर बाजार (Share Market) में पैसा लगाने वाले लोग इस बात को समझते हैं। जब आपने घाटा बुक ही नहीं किया तो आपका पैसा कैसे डूबेगा? आपको जानना चाहिए कि एलआईसी ने अपने कुल निवेश में से कितना पैसा अडानी के शेयरों (Adani Group stocks) में लगाया हुआ है। साथ ही यह सवाल भी महत्वपूर्ण है कि क्या उसने लॉस बुक किया है या यह एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट है।

क्यों एक रुपया भी नहीं डूबा?

सबसे पहले तो यह जान लें कि एलआईसी कोई इंट्राडे इन्वेस्टर या ट्रेडर नहीं है। वह एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर है। एलआईसी शेयर बाजार में लंबी अवधि के लिए पैसा लगाता है। इस अवधि में शेयरों की कीमत ऊपर-नीचे होती रहती है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) के बाद अडानी के शेयरों की कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई है। एलआईसी के पास भी अडानी की कंपनियों के कई शेयर हैं। लेकिन उसने गिरावट में ये शेयर नहीं बेचे हैं। सीएनबीसी टीवी-18 ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मौजूदा गिरावट के दौरान एलआईसी ने अडानी ग्रुप का कोई शेयर नहीं बेचा है। यानी एलआईसी ने कोई लॉस बुक नहीं किया है। इसका मतलब है कि एलआईसी का एक रुपया भी नहीं डूबा है। हो सकता है कि लॉन्ग टर्म में जब एलआईसी को अडानी ग्रुप के शेयर बेचने हों, तब शेयरों की कीमतें काफी रिकवर हो चुकी हों। एलआईसी इस हफ्ते अडानी ग्रुप के टॉप मैनेजमेंट के साथ एक मीटिंग भी करेगी। इस मीटिंग में ग्रुप की रणनीति के बारे में समझा जाएगा। सूत्रों ने कहा कि एलआईसी अपनी निवेश रणनीति को फॉलो करना जारी रखे हुए है।

इक्विटी एयूएम का सिर्फ 8% अडानी ग्रुप में

30 सितंबर 2022 तक अडानी ग्रुप कंपनियों में एलआईसी का निवेश उसके इक्विटी एयूएम का 8 फीसदी था। एलआईसी के सीईओ ने एक फरवरी को एक इंटरव्यू में कहा था कि एलआईसी अडानी ग्रुप के शेयरों में पॉजिटिव है यानी मुनाफे में है। उन्होंने कहा था कि सभी निवेश कंपनी की मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुसार किए जाते हैं।

लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर है एलआईसी

एलआईसी ना सिर्फ भारत की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है, बल्कि वह भारतीय स्टॉक मार्केट की सबसे बड़ी संस्थागत निवेशक भी है। यह सबसे बड़े एफपीआई (FPI) से भी काफी बड़ी निवेशक है। यह समझना जरूरी है कि एलआईसी सिर्फ शेयर मार्केट में ही नहीं, बल्कि कई सारे निवेश विकल्पों में पैसा लगाती है। वहीं, शेयर मार्केट में भी एलआईसी का पैसा सिर्फ अडानी ग्रुप में ही नहीं लगा है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एलआईसी के इन्वेस्टमेंट को कभी भी शॉर्ट टर्म अवधि के हिसाब से जज नहीं करना चाहिए। क्योंकि एलआईसी एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर है और वर्षों तक कंपनियों के शेयर अपने पास रखता है।

कुल निवेश का सिर्फ 0.976% अडानी ग्रुप में

एलआईसी ने यह स्पष्ट किया है कि 30 सितंबर 2022 तक उसके पास 41.66 लाख करोड़ रुपये का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) था। इसका सिर्फ 0.976 फीसदी ही अडानी ग्रुप के शेयरों में इन्वेस्ट किया हुआ है। एलआईसी के अनुसार 31 दिसंबर तक अडानी ग्रुप में उसने इक्विटी और कर्ज के माध्यम से 35,917.31 करोड़ रुपये लगाए हुए थे। जबकि शेयरों को कुल खरीद कीमत 30,127 करोड़ रुपये (पिछले कई सालों में खरीदे गए) है। इस निवेश की 27 जनवरी को बाजार बंद होते समय कुल कीमत 56,142 करोड़ रुपये थी। इसके बाद से इसमें काफी गिरावट आई है। आइए नीचे दिए ग्राफ से समझते हैं कि अडानी की कंपनियों में एलआईसी के निवेश की कीमत कितनी घटी है।

एलआईसी में निवेशकों का पैसा सुरक्षित

इस बीच एलआईसी के कई यूनियन लीडर्स अपनी कंपनी के समर्थन में सामने आए हैं। उन्होंने दावा किया है कि एलआईसी में निवेशकों का पैसा सुरक्षित है और कांग्रेस को अपना विरोध वापस लेना चाहिए। यूनियन लीडर्स का यह भी विचार है कि केंद्र सरकार को हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों की जांच करनी चाहिए। इस मुद्दे पर बात करते हुए NZIEA के अध्यक्ष अमरजीत सिंह ने कहा, ‘लोगों का एक बड़ा वर्ग और राजनीतिक दल एलआईसी के अडानी समूह में संभावित उच्च जोखिम पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। हमें लगता है कि सरकार को हिंडनबर्ग रिपोर्ट द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर सच्चाई का पता लगाना चाहिए। एलआईसी एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर है और इसके सभी निवेश निर्णय संसदीय जांच और नियामक पर्यवेक्षण के अधीन हैं। मुश्किल से 20 फीसदी निवेश इक्विटी (शेयर) में किया जाता है और इसलिए पॉलिसीधारकों द्वारा निवेश किया गया फंड बिल्कुल सुरक्षित है।