मॉस्को: नौ सितंबर को भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में जी20 सम्मेलन का पहला दिन था। पहले ही दिन यह सम्मेलन खबरों में रहा। अध्यक्षता के अलावा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इस सम्मेलन का घोषणा पत्र जारी किया तो हर कहीं उसकी तारीफ हुई। घोषणा पत्र में युक्रेन युद्ध का जिक्र तो था लेकिन इसमें रूस का सीधे तौर पर जिक्र नहीं किया गया। जो घोषणा पत्र भारत की तरफ से पेश किया गया उस पर यूरोप को खासी आपत्ति थी। जानकारों की मानें तो यूरोप ने यूं ही इसे स्वीकार नहीं किया। दरअसल उसको डर था कि अगर वह इससे मुंह मोड़ लेता है तो फिर चीन को हावी होने का मौका मिल जाएगा। फ्रांस को थी आपत्ति इस आपत्ति के बावजूद जी20 डिक्लेयरेशन को जारी किया गया। यह घोषणा पत्र कुछ हद तक पिछले साल बाली में हुए शिखर सम्मेलन से मिलता जुलता था। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो इस घोषणा पत्र से काफी असहमत थे। 83 पैराग्राफ्स वाले घोषणा पत्र में आठ पैराग्राफ्स ऐसे हैं जिनके यूक्रेन युद्ध का जिक्र था। इन पैराग्राफ्स में युद्ध के आर्थिक प्रभावों समेत कई ऐसी बातों को शामिल किया गया था जिनका दुनिया पर असर पड़ रहा है। फ्रांस को इस घोषणा पत्र पर खासा आपत्ति थी। इस घोषणा पत्र में ‘War In Ukraine’ का प्रयोग किया गया है जबकि फ्रांस चाहता था कि इसे बदलकर ‘War Against Europe’ कर दिया जाए। लेकिन अंत में जो घोषणा पत्र आया वह पूरी तरह से वैसा ही था जो भारत चाहता था। ईयू का डर और भारत की चाल यूरोपियन यूनियन (ईयू) को इस बात का डर था कि अगर यह सम्मेलन बिना घोषणा पत्र के समाप्त हो गया तो फिर दुनिया को लगेगा कि जी20 खत्म हो चुका है। फिर हो सकता है कि ब्रिक्स और जी7 जैसे संगठन इसकी जगह ले लें। ब्रिक्स में चीन और रूस का दबदबा है और ऐसे में चीन के हाथों यूरोप देश अपनी सत्ता को गंवाना नहीं चाहते थे। ईयू के एक अधिकारी की मानें तो इस संगठन को जिंदा रखने के लिए इस घोषणा पत्र पर हामी भरना जरूरी हो गया था। बताया जा रहा है कि अधिकारियों को सहमति के लिए सिर्फ दो विकल्प ही दिए गए थे। उन्हें इस घोषणा पत्र से सहमत होना था या फिर सम्मेलन का कोई घोषणा पत्र नहीं जारी होता। पीएम मोदी ने किया कमाल घोषणा पत्र में रूस और यूक्रेन वाला प्वाइंट ही सबसे पेचीदा था। इस पर सहमति बनवाने में कई घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी थी। पीएम मोदी ने जी20 सम्मेलन के पहले दिन जब सदस्य देशों को संबोधित किया तो उन्होंने दुनिया में शांति की बात कही। उन्होंने दोहराया कि यह दौर युद्ध का नहीं है। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि जी20 भू-राजनीतिक मुद्दों को हल करने का मंच नहीं है। घोषणापत्र में यह स्वीकार किया गया इन मुद्दों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है। पीएम मोदी ने गुटनिरपेक्ष देशों के गठबंधन इंडोनेशिया, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के अलाव जी7 के देश जैसे जापान के साथ लगातार वार्ता की। अंत में ईयू को भी रूस और यूक्रेन पर हल्के पैरा पर सहमत होने के लिए प्रेरित किया। ईयू और जी7 देश इस घोषणा पत्र से पीछे हट गए थे।