लूना-25 से मिला इमरजेंसी सिग्नल, टेंशन में आया रूस, क्या समय से नहीं उतरेगा चांद पर?

मॉस्को: रूस की स्पेस एजेंसी ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग के लिए अपना स्पेसक्राफ्ट लूना-25 लॉन्च किया है। लेकिन उसे एक समस्या का सामना करना पड़ा है। रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा कि लूना-25 को चंद्रमा पर उतरने से पहले एक आपातकालीन स्थिति का पता चला था। स्पेस एजेंसी ने एक बयान में कहा कि, ‘लैंडिंग से पहले की कक्षा में स्थानांतरित करने के लिए थ्रस्ट चलाया गया था। ऑपरेशन के दौरान, लूना-25 के ऑटोमैटिक स्टेशन में एक इमरजेंसी की स्थिति उत्पन्न हो गई, जिसने इसके थ्रस्ट ऑन करने की अनुमति नहीं दी।’लगभग 50 वर्षों बाद रूस ने अपना पहला चंद्रमा मिशन लॉन्च किया है। बुधवार को यह सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया। रूसी स्पेस एजेंसी ने अभी यह नहीं बताया है कि इस घटना से क्या चंद्रमा की लैंडिंग में देरी होगी या नहीं। रूस का लक्ष्य है कि दक्षिणी ध्रुव पर बोगुस्लाव्स्की क्रेटर के उत्तरी हिस्से में उसका लूना 25 सॉफ्ट लैंडिंग करे। 21-23 अगस्त के बीच लूना-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर सकता है। भारत का चंद्रयान 23 अगस्त को उतरेगा।मिशन सफल होने की 70 फीसदी संभावनाजून में रोस्कोस्मोस के प्रमुख यूरी बोरिसोव ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि यह मिशन जोखिम से भरा है, जिसकी सफलता की संभावना 70 फीसदी है। रूस का लक्ष्य है कि उनका यह लैंडर चांद की सतह पर एक साल तक काम करेगा। वह चांद की मिट्टी का विश्लेषण करेगा और रिजल्ट को धरती पर वापस भेजेगा। रूस के लैंडर पर लगे कैमरे चंद्रमा की तस्वीरें खींच चुके हैं। लूना-25 ने जीमैन क्रेटर की फोटो खींची है। इस क्रेटर की खासियत क्या है उसे आप करके पढ़ सकते हैं।रूस फिर शुरू करना चाहता है स्पेस प्रोग्रामसोवियत संघ के समय में अमेरिका के साथ स्पेस रेस होती थी। तब सोवियत संघ की स्पेस एजेंसी दुनिया में अपना लोहा मनवा रही थी। लेकिन सोवित संघ के टूटने के बाद रूस इसमें कोई खास तरक्की नहीं कर सका। सोवियत समय में लगभग 47 वर्षों पहले रूस ने अपना लैंडर चांद पर उतारा था। यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहा रूस एक बार फिर अंतरिक्ष कार्यक्रम में तेजी लाने की कोशिश कर रहा है। कई स्पेस एजेंसियां रूस के साथ दूरी बना रही हैं, तब मॉस्को दिखाना चाहता है कि वह अकेले भी बहुत कुछ कर सकता है।