मुंबई: देश के सेंट्रल बैंक यानी (Reserve Bank of India) ने नॉन-बैंक पेमेंट ऑपरेटर्स या कंपनियों पर बड़ी जिम्मेदारी दे दी है। ने इन ऑनलाइन कंपनियों से मौजूदा आम चुनावों के दौरान हाई वैल्यू वाले मर्चेंट पेमेंट की निगरानी करने और रिपोर्ट करने के लिए कहा है। ऐसा इसलिए ताकि पैसे से वोट खरीदने की किसी भी कवायद पर रोक लग सके।क्या लिखा है रिजर्व बैंक नेरिजर्व बैंक की तरफ से 15 अप्रैल 2024 को लिखे एक पत्र में Payment System Operators (PSOs) से मतदाताओं को प्रभावित करने या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव उम्मीदवारों को धन देने के लिए ई-फंड ट्रांसफर सिस्टम के संभावित दुरुपयोग को रोकने के लिए कहा है। पत्र में कहा गया है कि वोटर को प्रभावित करने के लए पेमेंट के विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल हो सकता है। हो सकता है कि कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल ऑनलाइन तरीके से वोटर्स को पैसे ट्रांसफर करे ताकि वह मतदाता किसी विशेष प्रत्याशी के पक्ष में वोट दे।हाई वैल्यू पेमेंट को रेगुलेट करेंवरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि पेमेंट कंपनियां विशेष रूप से हाई वैल्यू पेमेंट या ससपिशिय पेमेंट को ट्रैक करें। साथ ही रिकरिंग पर्सन टू पर्सन पेमेंट को भी जांच के दायरे में लाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि पीएसओ में वीसा, मास्टरकार्ड और रुपे जैसे नेटवर्क आते हैं। इसके साथ ही Razorpay, Cashfree, CCAvenue and Mswipe जैसी फिनटेक कंपनियां सभी रेग्यूलेटड पेमेंट एग्रीगेटर हैं। बाजार में सेवा दे रही कंपनी जैसे पेटीएम, फोनपे, भारतपे और मोबिक्विक जैसी अन्य कंपनियां मोबाइल वॉलेट लाइसेंस धारक हैं।निर्वाचन आयोग की चिंता का दिया हवालासेंट्रल बैंक ने अपने निर्देश में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा उठाई गई चिंताओं का हवाला दिया है। इसने पेमेंट कंपनियों को संदिग्ध लेनदेन को ट्रैक करने और संबंधित अधिकारियों को रिपोर्ट करने के लिए भी कहा है। उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक रूप से चुनावों के दौरान कैश का प्रचलन बढ़ गया है। ने आमतौर पर बैंकों को कैश की आवाजाही पर नजर रखने का निर्देश दिया है। ऑनलाइन पेमेंट की बढ़ रही है लोकप्रियताइस समय ऑनलाइन पेमेंट (Online Payment) की लोकप्रियता इस कदर बढ़ रही है कि लोग शगुन जैसे रस्मों में भी ऑनलाइन पेमेंट करते हैं। आजकल भिखारी भी भीख मांगने के लिए इस तरह का क्यूआर कोड (QR Code) अपने कटोरे या भीख मांगने के बर्तन में चिपका कर रखते हैं। तभी तो यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) और कार्ड पेमेंट की लोकप्रियता को देखते हुए, नियामक चाहता है कि इन चैनलों की भी निगरानी की जाए। यहां से भी जब निगरानी की जाएगी तो इसका दुरुपयोग करने वाले डरेंगे।