CJI (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) डी वाई चंद्रचूड़ के सामयिक दखल ने जुडिशरी से जुड़े एक विवाद को और अप्रिय रूप लेने से पहले ही खत्म कर दिया। उन्होंने गुरुवार को हाईकोर्टों के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा कि जजों को अपने विशेषाधिकार के इस्तेमाल को लेकर सतर्क रहना चाहिए। उनकी यह पहल खास तौर पर उस विवाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जो इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज की तरफ से रेलवे अधिकारियों से जवाब तलब किए जाने की वजह से शुरू हुआ था। जज की ओर से रेलवे अधिकारियों के भेजे गए पत्र में कहा गया था कि दिल्ली से प्रयागराज की यात्रा के दौरान ट्रेन तीन घंटे लेट हो गई और बार-बार संपर्क किए जाने के बावजूद जज के कोच में न तो GRP के लोग पहुंचे और न पैंट्री कार के कर्मचारी। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था और लोगों की इस पर तरह-तरह की टिप्पणियां आ रही थीं। गौर करने की बात है कि ट्रेनों का तीन घंटे लेट होना अपने देश में कोई बड़ी बात नहीं है। अक्सर ट्रेनें इससे बहुत ज्यादा लेट हो जाती हैं और यात्रियों को तमाम असुविधाएं झेलनी पड़ती हैं। रेलवे की सेवा में ये कमियां कोई अच्छी बात नहीं है और इस पर ध्यान देने की जरूरत है। अपनी सीमाओं के बीच रेलवे सेवाओं में सुधार लाने की कोशिश भी कर रहा है, लेकिन सचाई यही है कि लाखों यात्रियों को तमाम तकलीफों के बीच सफर करना पड़ता है। ऐसे में अगर कोई जज या कोई अन्य VIP सिर्फ इस वजह से नाराज हो जाएं कि उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप सुविधाएं क्यों नहीं उपलब्ध कराई गईं तो निश्चित रूप से पब्लिक के बीच इससे कोई अच्छा मेसेज नहीं जाएगा। हालांकि अपने देश में VIP कल्चर की बीमारी पुरानी है, लेकिन जुडिशरी हो या समाज और व्यवस्था का कोई अन्य जिम्मेदार हिस्सा, उसे इस बीमारी से लड़ते हुए दिखना चाहिए, न कि इसे और बढ़ाते हुए। इस लिहाज से CJI चंद्रचूड़ का यह पत्र बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने इसमें साफ-साफ लिखा है कि जजों को प्रोटोकॉल के तहत जो सुविधाएं मिली हुई हैं, उनका इस्तेमाल खुद को पब्लिक से अलग या ऊंचा साबित करने या ताकत दिखाने के लिए नहीं करना चाहिए। इनका इस्तेमाल करते हुए ध्यान रखा जाना चाहिए कि इससे अन्य लोगों को किसी तरह की तकलीफ न हो और न ही इसकी वजह से जुडिशरी को सार्वजनिक आलोचना का पात्र बनना पड़े। CJI का यह पत्र भले ही किसी हाईकोर्ट के एक जज के आचरण के संदर्भ में लिखा गया हो, इसकी भावनाएं राजनीति और नौकरशाही से जुड़े उन लोगों पर भी लागू होती हैं, जो अपने विशेषाधिकारों का आनंद उठाना और इनकी नुमाइश करना अपनी आदत बना चुके हैं। उम्मीद है कि ऐसे तमाम लोगों के लिए यह पत्र एक सीख का काम करेगा।