राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव बुधवार को लोकसभा में परंपरा के मुताबिक सर्वसम्मति से पारित हो गया। इस दौरान सदन में जिस तरह का माहौल रहा और जैसी बहस हुई, वह देश में स्वस्थ लोकतंत्र की मजबूत जड़ों को लेकर आश्वस्त करने वाला है। बेशक, इस दौरान तीखे भाषण हुए। विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाए और सरकार की ओर से उसका जवाब भी दिया गया। लेकिन यह तो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में संसदीय चर्चा का अभिन्न हिस्सा होता है। खास तौर पर मौजूदा सत्र की बात की जाए तो विपक्ष की ओर से सबसे बड़ा मुद्दा अडाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग है। अमेरिकी संस्था हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद इस ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट आई और उसके लगाए आरोपों का भारतीय कारोबारी समूह ने जवाब भी दिया। इससे जुड़े पहलुओं पर बैंकिंग और शेयर बाजार नियामकों की ओर से भी पहल हुई। ऐसे में संयुक्त संसदीय समिति की जांच की मांग इस मुद्दे का सियासी पहलू ही है।इससे बड़ी बात है कि नियामक संस्थाओं की ओर से इस मामले पर तस्वीर जल्द से जल्द साफ हो। उसका कारण यह है कि शेयर बाजार किसी भी तरह की अनिश्चितता को ठीक नहीं मानता। इसलिए जितनी जल्दी तस्वीर साफ होगी, उतनी ही जल्दी इस मामले का साया स्टॉक मार्केट से हटेगा। विपक्ष ने पहले इसी मुद्दे पर सदन ठप कर रखा था। फिर उसने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में शामिल होने का फैसला किया।कांग्रेस नेता ने के क्रम में सरकार पर कई आरोप लगाए। इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए सत्ता पक्ष ने कहा कि कांग्रेस नेता ने सदन के मंच का दुरुपयोग किया है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का समापन विपक्ष पर चुटकी लेते हुए किया। उन्होंने कहा कि जैसे सच सुनने के लिए साहस की जरूरत होती है, वैसे ही झूठे और गंदे आरोप सुनने के लिए भी हिम्मत और धैर्य की जरूरत होती है। ऐसा साहस और धैर्य दिखाने के लिए उन्होंने साथी सदस्यों का हंसते हुए धन्यवाद किया। जहां तक विपक्ष के आरोपों का जवाब देने की बात है तो इशारों में प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के अच्छे कामकाज और इस दौरान हासिल हुई उपलब्धियों का जिक्र करके उनका जवाब भी दे दिया। उन्होंने बताया कि उनके शासनकाल में पूरे देश और देशवासियों की उन्नति हुई है। पीएम मोदी का कहना था कि देशवासियों का जो विश्वास उनके काम की वजह से बना है, वह झूठे आरोपों से नहीं हिलने वाला।सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि एजेंसियां स्वतंत्र ढंग से अपना काम कर रही हैं और जो भी जरूरी कदम हैं, वे उठाए जा रहे हैं। लेकिन इसके साथ उसे यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ये कदम जल्द ही किसी अंजाम तक पहुंचें ताकि मौजूदा अनिश्चितता दूर हो।