अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का सालाना स्टेट ऑफ द यूनियन भाषण इस बार ऐसे मौके पर आया है, जब उनके कार्यकाल में पहली बार विधायिका पूरी तरह उनकी पार्टी के नियंत्रण में नहीं है। सीनेट पर अब भी उनकी पार्टी का नियंत्रण है, लेकिन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में विरोधी रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि राष्ट्रपति बाइडन अगले कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में उतरने का मन बना चुके हैं। ऐसे में आश्चर्य नहीं कि उनका भाषण खासतौर पर घरेलू मामलों पर ही केंद्रित रहा। जहां उन्होंने अमेरिका को फिर से मजबूती दिलाने वाली अपनी उपलब्धियां गिनाईं, वहीं इस बात पर भी जोर दिया कि वह विपक्षी दल के साथ मिलकर भी देश हित में जरूरी फैसले लेते हुए देश को आगे ले जा सकते हैं। यह इसलिए भी जरूरी था कि अपने कार्यकाल के बचे हुए हिस्से में अगर उन्हें कुछ बड़े फैसले करने हैं तो विपक्ष के सहयोग की दरकार होगी। बहरहाल, इन सबके बीच भी विदेश नीति को लेकर जो संकेत उन्होंने अपने भाषण में दिए, वे खासे अहम हैं।सबसे ज्यादा जोर उन्होंने चीन पर दिया, जिसके कथित जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के उनके फैसले की पिछले दिनों खासी चर्चा रही है। स्वाभाविक ही उन्होंने अपने इस फैसले का बचाव किया और यह भी दोहराया कि जब भी चीन की तरफ से अमेरिका की संप्रभुता के लिए किसी तरह का खतरा पैदा किया जाएगा, हम कार्रवाई करेंगे। हालांकि इसके साथ ही बाइडन यह रेखांकित करने से भी नहीं चूके कि वह अमेरिकी हितों और वैश्विक हितों के मद्देनजर चीन के साथ सहयोग करने को प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि चीनी राष्ट्रपति शी चिन फिंग के सामने भी वह स्पष्ट कर चुके हैं कि अमेरिका कॉन्फ्लिक्ट नहीं कॉम्पिटिशन चाहता है। दिलचस्प है कि इस भाषण पर प्रतिक्रिया जताते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन को प्रतियोगिता से डर नहीं लगता, हालांकि वह दोनों देशों के संपूर्ण रिश्ते को प्रतियोगिता के ही रूप में परिभाषित करने के पक्ष में नहीं है। जाहिर है, भाषणों में निहित औपचारिकता को ध्यान में रखें तो इस भाषण के पॉजिटिव पहलुओं को के संकेत के रूप में नहीं लिया जा सकता। खासकर और का रुख ऐसी कोई संभावना नहीं छोड़ता। लेकिन पिछले साल अगस्त में पूर्व हाउस स्पीकर की ताइवान यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों में आए अप्रत्याशित उबाल को ध्यान में रखें तो ये संकेत उस उबाल को नियंत्रित रखने की कोशिश जरूर माने जा सकते हैं। खासकर इस तथ्य के मद्देनजर कि नए हाउस स्पीकर केविन मैकार्थी (रिपब्लिकन) के भी इस साल ताइवान जाने की योजना है।