डॉलर, युआन और दिरहम, आखिर इन विदेशी करेंसीज के सामने कहां टिकता है हमारा रुपया, देख लीजिए ये एक्सचेंज रेट लिस्ट

नई दिल्ली: दुनिया के सभी देशों की अपनी-अपनी मुद्रा यानी करेंसी (Currency) होती है। हर देश के अंदर उसी की करेंसी में कारोबार होता है। जैसे हमारी करेंसी है रुपया। किस देश की करेंसी मजबूत है और किस मुल्क की कमजोर है इसका पता एक्सचेंज रेट (Exchange Rate) से लगता है। दरअसल कोई करेंसी किसी दूसरे देश की मुद्रा की तुलना में कितनी कमजोर या मजबूत है इसका पता एक्सचेंज रेट से लग जाता है। उदाहरण के लिए अगर हम रुपये और यूएस डॉलर को देखें तो इस समय रुपये के लिए डॉलर का एक्सचेंज रेट 82.95 है। बता दें कि साल 1990 से पहले आरबीआई द्वारा एक्सचेंज रेट तय होती थी। उस समय भारत में एक फिक्स्ड एक्सचेंज रेट होती थी। लेकिन इसके कई नुकसान भी थे। इसलिए भारत में बाद में फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट लागू हुई। यहां देखिए रुपये के एक्सचेंज रेट वित्त मंत्रालय की ओर से भारतीय रुपये के बराबर विदेशी करेंसी की एक इकाई की एक्सचेंज रेट लिस्ट जारी की है। यह आयात माल और निर्यात माल के लिए अलग-अलग है। आंकड़ों के मुताबिक, आयात माल के लिए रुपये के लिए ऑस्ट्रेलियन डॉलर की एक्सचेंज रेट 57.35 है, यानी एक ऑस्ट्रेलियन डॉलर के लिए 57.35 रुपये देने होंगे। इसी तरह बहरीन दीनार की एक्सचेंज रेट 224.55, कैनेडियन डॉलर की 63.50, चाइनीज युआन की 11.60, यूरो की 93.75 और कतरी रियाल की 23.25 है। हांगकांग डॉलर के लिए देने होंगे कितने रुपयेभारतीय रुपये के लिए अमेरिकी डॉलर की एक्सचेंज रेट आयात सामान में 82.95 है। इसी तरह हांगकांग डॉलर की 10.70, यूएई दिरहम की 23.05, तुर्की लीरा की 3.15, स्विस फ्रैंक की 97.70, स्वीडिश क्रोनर की 8.15, साउथ अफ्रीकी रैंड की 4.75 और सिंगापुर डॉलर की 63.10 है।जानिए कैसे तय होती है एक्सचेंज रेटएक्सचेंज रेट कई फैक्टर्स पर डिपेंड करती है। महंगाई, ब्याज दर, कैपिटल इनफ्लो, लिक्विडिटी और चालू खाता खाता भी एक्सचेंज रेट को प्रभावित करता है। इसमें सबसे बड़ा फैक्टर डिमांड एंड सप्लाई है। जैसे-जैसे मांग बढ़ती है वैल्यू बढ़ती जाती है और मांग घटने के साथ ही वैल्यू कम हो जाती है। वैश्विक बाजार में जब डॉलर की डिमांड बढ़ती है, तो यह महंगा हो जाता है। इसे ही फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट (Floating Exchange Rate) कहते हैं।