पाकिस्तान में जासूसी, रिक्शा चालक बन आतंकियों को चकमा… भारत के ‘जेम्स बॉन्ड’ का जरा सीवी देखिए

नई दिल्ली: भारत के ‘जेम्स बॉन्ड’ माने जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल को डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। डोभाल गुरुवार को पंतनगर विश्वविद्यालय के 34वें दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान राज्यपाल गुरमीत सिंह ने उन्हें ये मानद उपाधि प्रदान की। डोभाल को इंटेलिजेंस का सबसे माहिर खिलाड़ी माना जाता है। उनका जीवन किसी एडवेंचर फिल्म की कहानी जैसा है। जोभाल 7 साल तक पाकिस्तान में जासूस रहे। उन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है। आज उनका नाम सुनकर दुश्मन कांप जाते हैं। भारत के इसी जेम्स बॉन्ड की कहानी आज हम आपको बता रहे हैं।चार साल रहे पुलिस अधिकारीएनएसए अजीत डोभाल मूलत: उत्तराखंड के रहने वाले हैं। उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में 20 जनवरी 1945 को हुआ था। डोभाल के पिता भी भारतीय सेना में अधिकारी थे। उनकी पढ़ाई लिखाई आर्मी स्कूल में हुई। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। इसके बाद 1968 में केरल कैडर से वो IPS बन गए। चार साल पुलिस अधिकारी के रूप में सेवा देने के बाद 1972 में उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ज्वॉइन कर लिया। IB में उन्होंने कई सीक्रेट ऑपरेशन को अंजाम दिया। 2005 में वो IB डायरेक्टर के पद से रिटायर हुए। आज भी वो एनएसए के रूप में देश की सुरक्षा के लिए ढाल बने खड़े रहते हैं।कीर्ति चक्र और गैलेंट्री अवॉर्ड से हो चुके हैं सम्मानितअजीत डोभाल को देश के कई बड़े सम्मान से नवाजा जा चुके है। वो देश के इकलौते ऐसे नौकरशाह हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवॉर्ड मिला है। डोभाल को जासूसी और राष्ट्रीय सुरक्षा का करीब 40 साल का अनुभव है। उन्हें 31 मई 2014 को भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया। एनएसए बनने के बाद उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक जैसे बड़े मिशन को अंजाम दिया। बताया जाता है कि पिछले साल जब आतंकी संगठन पीएफआई पर रातों-रात बैन लगाया गया तो इसकी पूरी योजना भी डोभाल के नेतृत्व में की गई। सात साल तक पाकिस्तान में रहे जासूसडोभाल के एनएसए बनने के बाद की कहानी तो ज्यादातर लोग जानते हैं। लेकिन उनके जीवन का सबसे बड़ा जासूसी का किस्सा पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है। डोभाल 1972 में जासूस बनकर पाकिस्तान गए थे। उन्होंने वहां सात साल गुजारे और कई सीक्रेट जानकारियां हासिल की। वो पाकिस्तान में मुस्लिम बनकर रहे और उर्दू भाषा में महारथ हासिल की। उन्हें पाकिस्तान के कई खुफिया राज पता है, इसलिए आज भी पाकिस्तान उनके नाम से घबराता है।ऑपरेशन ब्लू स्टार में निभाई बड़ी भूमिकाइसके अलावा डोभाल ने पंजाब के अमृतसर स्वर्ण मंदिर से खालिस्तान समर्थक सिख उग्रवादियों के खात्मे के लिए दो ऑपरेशन किए गए। उस समय वो एक रिक्शा चालक बन कर वहां गए और बड़ी चतुरता से पूरे मिशन को अंजाम दिया। उन्होंने सुरक्षा बलों को आतंकियों की पूरी जानकारी दी, जिसके आधार पर सैनिकों को खालिस्तानियों को मंदिर से बाहर निकालने में काफी मदद मिली। इस मिशन को ऑपरेशन ब्लू स्टार कहा जाता है। इस पूरे ऑपरेशन में डोभाल नायक बने।इन मिशन को भी किया लीडइसके बाद 1990 में कंधार प्लेन हाईजैक के दौरान हुए ऑपरेशन ब्लैक थंडर में भी डोभाल मुख्य भूमिका में थे। वह उस टीम को लीड कर रहे थे, जो आतंकियों से निगोसिएशन कर रही थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में कई आतंकियों को भी उन्होंने सरेंडर कराया। 2015 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर भी डोभाल ही थे। वो न केवल प्रधानमंत्री मोदी की सरकार में देश की सुरक्षा में तैनात हैं, बल्कि इंदिरा गांधी की सरकार में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार में भी उनकी प्रमुख भूमिका थी।