लखनऊ: हरदोई के मनीलाल (50) हिम्मत हार चुके थे। लगभग साल भर पहले एक दुर्घटना में उनके दाहिने पैर की जांघ की हड्डी चूर हो चुकी थी। किसी तरह हड्डी जुड़ी लेकिन वह लगभग 6 इंच छोटी हो गई। उनका घाव अंदर से रिस रहा था। डॉक्टरों ने कहा, जान बचानी है तो उनका पैर काटना होगा। परिवार वाले सुनकर घबरा गए और कई जगह भटकने के बाद उन्हें लखनऊ ले आए।
लखनऊ में भी उन्हें कई प्राइवेट अस्पतालों में डॉक्टरों ने पैर काटने की ही सलाह दी। वह ऐसा करा भी लेते लेकिन इसका खर्च भी लंबा बताया गया जो आर्थिक रूप से कमजोर मनीलाल के लिए पहुंच के बाहर था।
सौभाग्य से वह सलाह लेने के लिए पहुंच गए। यहां डॉ एपी सिंह की ओपीडी में अपना पैर दिखाया और बताया कि बाकी डॉक्टर पैर काटने को कह रहे हैं। लेकिन डॉक्टर एपी सिंह ने उन्हें दिलासा देते हुए बताया कि एक तकनीक है जो कारगर हो गई तो उनका पैर बच सकता है।
मनीलाल को अस्पताल में भर्ती करा लिया गया। यहां रूस की इलीजारोव तकनीक से उनके पैर की हड्डी में इंप्लांट डालकर उसे रॉड से कस दिया गया। इसके बाद इसे क्रमिक रूप से रोज ढीला किया जाता ताकि हड्डी की ग्रोथ हो सके। इस तरह उनके पैर की हड्डी को 18 सेंटमीटर तक बढ़ाने में कामयाबी मिली।
इस पूरे इलाज में करीब 11 महीने का समय लगा। अगर किसी प्राइवेट अस्पताल में यह इलाज कराया जाता तो इस पर करीब 15 लाख रुपये का खर्च आता। लेकिन मनीलाल के पास आयुष्मान कार्ड था इसलिए उनका इलाज मुफ्त में हो गया। अब मनीलाल को उम्मीद है कि वह अपने दोनों पैरों पर खडे़ हाकर सामान्य रूप से अपनी जिंदगी बिता सकेंगे।