नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो की राइडरशिप अब कोविड काल से पहले वाले सामान्य स्तर के बिल्कुल नजदीक पहुंच गई है। डीएमआरसी के अधिकारियों का मानना है कि कोविड की वजह से लगी पाबंदियों के चलते राइडरशिप में जो कमी आई थी, उसमें अब 90 प्रतिशत से ज्यादा भरपाई हो चुकी है। उम्मीद है कि गर्मी का सीजन आने तक राइडरशिप बिल्कुल सामान्य हो जाएगी। कोविड के चलते मार्च 2020 से फरवरी 2022 के बीच मेट्रो का परिचालन प्रभावित रहा। इस दौरान करीब साढ़े 5 महीने तक मेट्रो सेवा पूरी तरह बंद भी रही। बाद में जब सर्विस शुरू हुई, तो कोच में यात्रियों की संख्या सीमित कर दी गई। पिछले साल 28 फरवरी से स्थिति सामान्य हो पाई, जब मेट्रो में मास्क पहनकर यात्रा करने की अनिवार्यता को छोड़कर बाकी सारी पाबंदियां पूरी तरह से हटा ली गईं। हालांकि, इसके बाद भी रिकवरी शुरू होने में वक्त लगा और जून के बाद से ही राइडरशिप में बढ़ोतरी होती दिखाई देने लगी। पिछले 6-7 महीने में राइडरशिप में तेजी से इजाफा हुआ, जिसकी बदौलत अब लगभग एक साल बाद मेट्रो की राइडरशिप अपने सामान्य स्तर के नजदीक पहुंच गई है।प्री-कोविड लेवल्स तक पहुंच रही दिल्ली मेट्रो की राइडरशिपकोविड काल से पहले मेट्रो में प्रतिदिन औसतन 55 लाख पैसेंजर जर्नी काउंट की जाती रही है। इस साल जनवरी में प्रतिदिन औसतन 49.52 लाख, जबकि पिछले साल दिसंबर में 49.79 लाख और नवंबर में 51.13 पैसेंजर जर्नी काउंट की गई, जो सामान्य स्तर के बेहद नजदीक थी। इससे पहले जून से अक्टूबर 2022 के बीच भी मेट्रो में प्रतिदिन औसतन 40 से 45 लाख पैसेंजर जर्नी काउंट हुई थी, जबकि पिछले साल जनवरी में डेली एवरेज पैसेंजर जर्नी महज 19.08 लाख, फरवरी में 31.85 लाख और मार्च में 36.94 लाख ही रही थी।डीएमआरसी के अधिकारियों का यह भी कहना है कि कोविड के बाद कई संस्थानों में, खासकर आईटी कंपनियों में अब भी कई कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं। इसके अलावा संक्रमण के खतरे से बचने के लिए बहुत से लोग अपनी गाड़ियों से आने जाने लगे हैं। यह भी एक बड़ा कारण है, जिसके चलते दुनियाभर में मेट्रो की राइडरशिप में पहले के मुकाबले अब भी काफी कमी देखी जा रही है।