कैनबरा: जब आप किसी सांप को करीब से देखेंगे तो पाएंगे कि उसके कान नहीं है। इससे आप सोच सकते हैं कि शायद ये सुन ही नहीं सकते। लेकिन अब सांपों के सुनने की क्षमता ने वैज्ञानिकों को हैरान किया है। ऑस्ट्रेलिया में की टॉक्सिनोलॉजिस्ट क्रिस्टीना जेडेनेक कहती हैं, ‘सांप एक कमजोर और डरपोक जीव होते हैं, जो ज्यादातर समय तक छिपे रहते हैं। हमें अभी भी उनके बारे में बहुत कुछ सीखना बाकी है।’ क्रिस्टीना का कहना है कि सांप के कान उसके शरीर के बाहरी हिस्सों में नहीं होते। ऐसे में ज्यादातर लोग सोचते हैं कि वे बहरे हैं और सिर्फ जमीन के कंपन के जरिए ही चीजों को महसूस कर सकते हैं।लेकिन शोधकर्ता जानते हैं कि सांप बहरे नहीं होते। बस उनकी सुनने की क्षमता बाकी शारीरिक इंद्रियों जैसे स्वाद और देखने से कमजोर होती है। के मुताबिक सांपों के बाहरी कान नहीं होते हैं। लेकिन कान के अंदर के सभी अंग उनमें होते हैं। इंसनी कान में कोलुमेला होता है जो जबड़े की हड्डी से जुड़ा रहता है। लेकिन सांपों में यह कंपन महसूस करने में मदद करता है। हम जितनी आवाज सुनते हैं सांप उसका कुछ अंश ही सुन सकते हैं।ऐसे किया गया शोधअभी भी ऐसे कई उदाहरण दिखते हैं कि सांपों में शिकारियों से बचने के लिए सुनने की क्षमता महत्वपूर्ण है। 19 अलग-अलग प्रजाति के सांपों को शोध में शामिल किया गया। इनमें वे भी शामिल हैं जो रेत, पेड़ और पानी पर चलते हैं। क्रिस्टीन और उनके सहयोगियों ने 0 से 450 हर्ट्ज की आवाज के साथ सांपों पर टेस्ट किया। इसमें दो तरह की आवाज शामिल थीं। एक आवाज जिससे जमीन में भी कंपन हो। वहीं एक आवाज जो सिर्फ हवा में रहे।सांपों ने क्या दी प्रतिक्रियासांपों के अलग-अलग समूहों ने हवा में होने वाली ध्वनि पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दी। हालांकि एक ही जीन वाले सांपों ने समान प्रतिक्रिया दी, जिससे पता चला कि उन्हें यह विरासत में मिली है। डॉ जेडनेक ने कहा, ‘केवल वोमा अजगर ही ऐसा सांप था जो आवाज के करीब जा रहा था। वहीं बाकी सांप जैसे ताइपन्स, ब्राउन स्नेक और विशेष रूप से डेथ एडर्स इससे दूर जाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा, ‘हम इस बारे में बेहद कम जानते हैं कि दुनिया भर में सांपों की अधिकांश प्रजातियां कैसे बचाव करती हैं। लेकिन अध्ययन दिखाता है कि ध्वनि संवेदी प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।’