कोलकाता: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ पिछले पांच महीनों से खुला अत्याचार हो रहा है। हिंदुओं की टारगेट किलिंग और लूटपाट की खबरों के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। उन्होंने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश में हमारे परिवार और प्रियजन हैं। हम भारत सरकार की ओर से लिए गए किसी भी रुख को स्वीकार करते हैं। हम दुनिया में कहीं भी धार्मिक आधार पर अत्याचारों की निंदा करते हैं। साथ ही, केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं। ममता बनर्जी विपक्ष की पहली नेता बन गई हैं, जिन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर खुलकर बड़ा बयान दिया है। हमले और पुलिस एक्शन से बांग्लादेश में दहशत में है हिंदू समुदाय शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद पड़ोसी राज्य में धार्मिक उन्माद चरम पर है। मंदिरों पर हमले हो रहे हैं। आरती और पूजा पाठ को भी कट्टरपंथियों ने प्रतिबंधित कर दिया है। हिंदू महिलाओं के साथ बदसलूकी और अल्पसंख्यकों को डराने-धमकाने की खबरें भी आ रही हैं। हाल ही में इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी देशद्रोह के आरोप में जेल भेज दिया। इसके अलावा उनके तीन सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया है। भारत आ रहे इस्कॉन के 63 संतों को भी बॉर्डर पर रोका गया। अधिवक्ता सैफुल इस्लाम अलिफ की हत्या के बाद चटगांव की भड़की हिंसा के लिए भी हिंदू समुदाय को जिम्मेदार ठहराते हुए बांग्लादेश सरकार ने गिरफ्तारियां कीं। इस सामूहिक गिरफ्तारी से दहशत में हैं। ममता बनर्जी की अपील, शांति सेना के लिए बात करें पीएम मोदीबांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर भारत में भी प्रतिक्रिया हो रही है। देश के कई हिस्सों में जुलूस और प्रदर्शन कर लोग केंद्र की मोदी सरकार से बांग्लादेश में हस्तक्षेप की मांग कर चुके हैं। अब ममता बनर्जी ने भी नरेंद्र मोदी सरकार से संयुक्त राष्ट्र के जरिये हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। ममता बनर्जी ने कहा कि अगर बांग्लादेश में भारतीयों पर हमला होता है, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम अपने लोगों को वापस ला सकते हैं। भारत सरकार इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठा सकती है ताकि शांति सेना भेजी जा सके। पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि वह किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती हैं, लेकिन भारत सरकार ने बांग्लादेशी मछुआरों और लोगों के साथ अच्छा व्यवहार किया है। इसका ख्याल रखना जरूरी है। उन्होंने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान कर दिया। 1.31 करोड़ हिंदू जी रहे हैं डर के साये में, असर कोलकाता में भीबांग्लादेश में करीब 1.31 करोड़ हिंदू रहते हैं और यह देश की कुल आबादी का 7.96 प्रतिशत है। पश्चिम बंगाल का करीब 2,217 किलोमीटर का बॉर्डर बांग्लादेश से जुड़ता है। इसके अलावा त्रिपुरा, असम और मिजोरम से भी बांग्लादेश की सीमा जुड़ती है, मगर वहां हो रही हिंसा का असर पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक है। पड़ोसी देश में हो रही अत्याचार की चीख कोलकाता तक पहुंच रही है। गुस्से का आलम यह है कि कोलकाता और अगरतला के डॉक्टरों के बड़े समूह ने बांग्लादेशियों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। 2023 में 4.49 लाख बांग्लादेशी मरीज भारत इलाज के लिए आए, जिनमें से अधिकतर कोलकाता पहुंचे। कोलकाता की सड़कों पर हिंदुओं को समर्थन में रैलियां और शांति मार्च निकाली जा रही हैं। बीजेपी को नहीं देना चाहती हैं ‘कटेंगे तो बटेंगे’ बोलने का मौका ममता बनर्जी की अपील का राजनीतिक पहलू यह है कि बीजेपी ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लपक लिया है। महाराष्ट्र और हरियाणा में बंटोगे तो कटोगे और एक हैं तो सेफ हैं के नारे का चुनावी परिणाम भी सामने आ चुका है। ममता बनर्जी बांग्लादेश के बदलते परिवेश में बीजेपी को कोई राजनीतिक मौका नहीं देना चाहती हैं। पश्चिम बंगाल में हिंदुत्व का चुनावों में असर कम ही रहा है, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुल्म पर खामोशी टीएमसी को भारी पड़ सकती है। अभी बॉर्डर पर सुरक्षा सख्त है। जिस तरह मुस्लिम कट्टरपंथी और मोहम्मद युनूस की सरकार फैसले ले रही है, उससे पलायन की आशंका भी बढ़ गई है। पलायन की आशंका, हिंदुओं का गुस्सा और सीएए का खौफ पश्चिम बंगाल की राजनीति बदल सकती है। इसका इल्म ममता बनर्जी को है।