क्या MS धोनी ने बंगाल के खेल मंत्री के साथ किया अन्याय? मनोज तिवारी के आरोपों का पूरा सच समझिए

नई दिल्ली: बंगाल क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मनोज तिवारी ने रणजी ट्रॉफी 2024 के अपने आखिरी लीग मैच के बाद इस खेल से संन्यास का ऐलान कर दिया। मनोज सक्रिय रूप से राजनीति से भी जुड़े हुए हैं और वह बंगाल के राज्य सरकार में खेल मंत्री हैं। हालांकि उनकी पहली पहचान एक क्रिकेटर के रूप में रही है। क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद मनोज एक के बाद एक अपने बयानों से सनसनी मचा दी है। उन्होंने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी पर निशाना साधते हुए उन पर पक्षपात का आरोप लगाया है।टीम इंडिया के लिए 2008 में भारत के लिए डेब्यू करने वाले मनोज 12 वनडे और तीन टी20 मैच खेले हैं। दिसंबर 2011 में, उन्होंने चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ नाबाद 104 रन बनाकर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय शतक लगाया था। हालांकि, उन्हें अगला मौका पाने के लिए 7 और महीने इंतजार करना पड़ा।धोनी पर लगाया पक्षपात का आरोपवहीं मनोज ने जब अब क्रिकेट से संन्यास ले लिया है तो उन्होंने पूर्व कप्तान धोनी से पूछा कि शतक लगाने और प्लेयर ऑफ द मैच का पुरस्कार जीतने के बाद भी उन्हें लगातार 14 मैचों तक क्यों बाहर रखा गया। उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें 2012 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए नजरअंदाज कर दिया गया था, जबकि उस सीरीज में विराट कोहली, रोहित शर्मा और सुरेश रैना जैसे कुछ शीर्ष खिलाड़ी रन बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे।क्यों मनोज को नहीं मिले लगातार मौके वजह समझिए?मनोज तिवारी ने जब साल 2008 में अपना डेब्यू किया था तो अपने पहले मैच में वह सिर्फ 2 रन ही बना पाए थे। जिस समय मनोज टीम में आए थे उस समय में टीम में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर जैसे दिग्गज खिलाड़ी मौजूद थे। ऐसे में उनके लिए टीम में जगह बनाए रखना काफी मुश्किल था, क्योंकि उसके लिए उन्हें लगातार रन बनाने पड़ते।डेब्यू मैच में फ्लॉप होने के बाद उन्हें ड्रॉप कर दिया। मनोज घरेलू क्रिकेट में लौटे आए और फिर विश्व कप 2011 के बाद उनकी वापसी हुई। 2011 में उन्हें कुल 5 वनडे मैचों में खेलने का मौका मिला जिसमें उन्होंने 2, 22, 11, 24 और 104 रन बनाए। शतक से पहले वह लगातार चार पारियों में फ्लॉप रहे थे।शतक लगाने के बावजूद मनोज में निरंतरता की कमी देखने को मिली। इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ 2012 में 65 रनों की पारी के बाद वह कुछ खास कमाल नहीं दिखा सके। ऐसे में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण मनोज मध्यक्रम में अपना जगह गंवा बैठे और फिर 2015 से बाद से उनकी टीम में कभी वापसी नहीं हो पाई।क्या धोनी ने किया मनोज के साथ अन्याय?महेंद्र सिंह धोनी दुनिया के सबसे चतुर कप्तानों में से एक रहे हैं। उनकी कप्तानी के विरोधी भी तारीफ करते हैं। धोनी को लेकर कहा जाता है कि उन्हें किस खिलाड़ी से क्या निकलवाना है उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। मनोज को हो सकता है कि उनकी कप्तानी में पर्याप्त मौके नहीं मिले हो लेकिन धोनी की कप्तानी के इतिहास को देखें तो उन्होंने कई खिलाड़ियों को संवारा है। नई टीम से साथ टीम को विश्व चैंपियन तक बनाया।मनोज जिस दौर में टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उस समय टीम में एक से बढ़कर एक खिलाड़ी मौजूद थे। शायद यही कारण है कि उन्हें कम मौके मिले और रही बात धोनी पर मनोज के विचार का तो वह उनका निजी मामला है।