हिंडनबर्ग के नाम में ही छिपी है ‘तबाही’, हिटलर के दौर की कहानी जान खड़े हो जाएंगे रोंगटे

नई दिल्ली : 24 जनवरी 2023 वह तारीख है जिसने गौतम अडानी (Gautam Adani) के जीवन में भूचाल ला दिया। इसी दिन अमिरिकी फॉरेंसिक फाइनेंशियल फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट (Hindenburg Report) सामने आई थी। रिपोर्ट में पूछे गए 88 सवालों ने पूरे शेयर बाजार (Share Market) को हिला दिया था। अडानी के शेयर ऐसे गिर रहे थे जैसे कोई भूत देख लिया हो। 10 दिन में ही गौतम अडानी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में तीसरे स्थान से गिरकर टॉप-20 से भी बाहर हो गए। दरअसल, अडानी ग्रुप (Adani Group) में यह तबाही लाने वाले हिंडनबर्ग के नाम से ही तबाही जुड़ी हुई है। इस नाम का इतिहास हिटलर के दौर से है। आइए जानते हैं कि कहानी क्या है।तबाही का मंजरशेयरों को शॉर्ट सेल कर तबाही मचाने वाल हिंडनबर्ग का नाम एक तबाही से ही आया है। हिंडनबर्ग एक एयरशिप (Hindenburg Airship) था। यह साल 1937 की बात है। उस समय जर्मनी में हिटलर (Hitler) का शासन था। हिंडनबर्ग एयरशिप के पीछे नाजी दौर का निशान स्वास्तिक बना हुआ था। इस एयरशिप को आसमान का टाइटेनिक भी कहा जाता है। अमेरिका के न्यूजर्सी में इस एयरशिप को लोग जमीन से देख रहे थे। अचानक से कुछ असामान्य दिखाई दिया। फिर एक तेज धमाका के साथ हिंडनबर्ग एयरशिप में आग लग गई। आग का गोला बना एयरशिप जब जमीन पर गिरा तो सब तबाह हो चुका था। 30 सेकेंड से भी कम वक्त में 36 लोग जिंदा जल गए थे।तेज तूफान के बीच फंसा एयरशिपयह घटना 6 मई 1937 की है। हिंडनबर्ग एयरशिप ने 3 मई को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट से अमेरिका के न्यू जर्सी के लिए उड़ान भरी थी। जब एयरशिप न्यू जर्सी पहुंचा तो मौसम खराब हो गया। एयरशिप ने लैंड करने की कोशिश की, लेकिन पहले प्रयास में फेल हो गया। एयरशिप की लैंडिंग बहुत मुश्किल होती थी। कंट्रोल रूम से कहा गया कि वह तूफान से दूर जाकर आसमान में उड़ता रहे और थोड़ी देर इंतजार करे। मौसम ठीक होने पर फिर से लैंडिंग की अनुमति मिली। एयरशिप लैंडिंग साइट की तरफ बढ़ रहा था। लेकिन कुछ ही देर में हवा का रुख एयरशिप के खिलाफ होने लगा। अब दो विकल्प थे। पहला- धीरे-धीरे लैंडिंग साइट की तरफ बढ़ने की कोशिश हो, इसमें टाइम बहुत लगता। दूसरा- एक शार्प मोड़ लेते हुए लैंडिंग साइट पर पहुचा जाए।बिगड़ गया बैलेंसहिंडनबर्ग के पायलट ने दूसरा रास्ता चुना। ऐसा कहा जाता है कि इस शार्प मोड़ लेने के चलते एयरशिप के पिछले हिस्से के कुछ स्टील के तार टूट गए, जिससे एक गैस चैंबर को नुकसान पहुंचा। इससे गैस लीक होने लगी। लैंडिंग साइट तक पहुंचने से कुछ दूर पहले एयरशिप का पिछला हिस्सा नीचे झुकने लगा। जबकि लैंडिंग के समय एयरशिप को बैलेंस रखना पड़ता है। बैंलेंस करने के लिए पायलट ने पिछले हिस्से से तीन बार पानी गिराने का ऑर्डर दिया। साथ ही सारे क्रू मेंबर्स को एयरशिप में आगे की ओर जाने को कहा। खिड़कियां तोड़ नीचे कूदने लगे लोगजब एयरशिप को लैंड कराया जाता है, तो कुछ रस्सियां नीचे फेंकी जाती थीं। इन रस्सियों से एयरशिप को नीचे खींचा जाता था। रस्सियों के सहारे एयरशिप को नीचे खींचा जा रहा था, लेकिन तभी एयरशिप के पिछले हिस्से में आग लग गई। शिप में काफी हाइड्रोजन गैस भरी थी, जिसने तुरंत आग पकड ली। एक झटके में एयरशिप आग का गोला बन गया। कहा जाता है कि तूफान में बिजली कड़कने से एयरशिप का बाहरी हिस्सा और अंदर के ढांचे के बीच इलेक्ट्रिक चार्ज पैदा हो गया था। इससे आग लग गई। जब आग लगी तो कई लोग डर के चलते खिड़कियां तोड़कर कूद गए थे। इस हादसे ने 30-35 सेकेंड में ही 36 लोगों की जान ले ली।बर्बाद हो गई एयरशिप इंडस्ट्रीहिंडनबर्ग हादसे ने एयरशिप इंडस्ट्री को बर्बाद कर दिया। इस हादसे से पहले हाइड्रोजन से उड़ने वाले एयरशिप काफी लोकप्रिय थे। हिंडनबर्ग हादसे के बाद लोगों का इससे भरोसा उठ गया। एयरशिप बनाने वाली कंपनियां बर्बाद हो गईं। इसके बाद कमर्शियल एयरप्लेन का चलन शुरू हुआ था।