नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के मेयर चुनाव में गजब का सियासी ड्रामा चल रहा है। तीन बार प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन हंगामे के चलते कार्यवाही स्थगित कर दी गई। अब फिर 15 दिन के बाद ही नई तारीख मिल पाएगी। ‘तारीख पे तारीख’ का यह ट्रेंड देख दिल्ली की जनता भी समझ नहीं पा रही कि ये सब हो क्या रहा है। क्या जानबूझकर मेयर चुनाव में रोड़े अटकाए जा रहे हैं? आज दिल्ली नगरपालिका सदन में हुए हंगामे के सामने आए वीडियो में देखा जा सकता है कि एक पार्टी के पार्षद बैठे हैं और दूसरी पार्टी के पार्षद हाथ जोड़कर हंगामा कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी और भाजपा ने एक दूसरे पर बेईमानी के आरोप लगाए हैं। एक महीने में तीसरी बार मेयर चुनने की कोशिश नाकाम रही है। सुबह से लेकर दोपहर तक दोनों पार्टियों ने एक के बाद एक कई प्रेस कॉन्फ्रेंस किए। AAP नेता आतिशी ने घोषणा की है कि आम आदमी पार्टी आज ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी और अदालत की निगरानी में महापौर चुनाव की मांग करेगी। दरअसल, आज का पूरा विवाद आप विधायकों के वोटिंग राइट पर शुरू हुआ। पीठासीन अधिकारी ने दो विधायकों के वोटिंग राइट को रद्द कर दिया, जिस पर हंगामा मच गया। सिसोदिया ने पहले ही कर दी भविष्यवाणीवैसे तो, सुबह से दोनों पार्टियों के नेता फॉर्म में दिख रहे थे। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि बीजेपी ने अपने पार्षदों को आज फिर MCD बैठक में मेयर चुनाव न होने देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने दावा किया कि LG फिर से 20 दिन बाद की तारीख देंगे। थोड़ी देर बाद ही सदन में हंगामा देखने को मिला। पीठासीन अधिकारी ने महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव के लिए मनोनीत सदस्यों को मतदान करने की अनुमति दी तो बवाल शुरू हो गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही तीसरी बार स्थगित कर दी गई। पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा ने कहा, ‘दिल्ली नगरपालिका के सदन की कार्यवाही अगली तारीख तक स्थगित की जाती है।’ इससे पहले दिल्ली नगर निगम सदन की कार्यवाही सोमवार सुबह साढ़े 11 बजे शुरू हुई थी। फौरन शर्मा ने घोषणा की कि महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव एक साथ होंगे। उन्होंने कहा, ‘महापौर, उप महापौर और स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव में ‘एल्डरमैन’ वोट कर सकते हैं।’ यह सुनते ही आप के पार्षदों ने विरोध करना शुरू कर दिया। पार्टी नेता मुकेश गोयल ने कहा कि ‘एल्डरमैन’ वोट नहीं दे सकते। इस पर शर्मा ने कहा, ‘लोगों ने आपको यहां सेवा करने के लिए भेजा है, चुनाव होने दीजिए।’ दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि असलियत यह है कि आम आदमी पार्टी को नगर निगम में अपने नेताओं पर भरोसा नहीं है। उन्हें अपने नेतृत्व पर भरोसा नहीं है और वह छटपटाहट साफ दिखाई दे रही है। विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि जो पार्टी ईमानदारी की बात करती थी आज वह भ्रष्टाचार करके दिल्ली नगर निगम के भाजपा के सदस्यों को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए पैसों और पदों का लालच दे रही है। नियम क्या कहता हैदिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 के तहत महापौर और उप महापौर का चुनाव नगर निकाय सदन की पहली बैठक में ही हो जाना चाहिए। हालांकि नगर निकाय चुनाव हुए दो महीने का समय बीत चुका है, पर अब तक नया महापौर नहीं मिला है। इससे पहले MCD सदन की बैठक छह जनवरी और 24 जनवरी को दो बार बुलाई गई थी, लेकिन BJP और AAP के पार्षदों के हंगामे की वजह से पीठासीन अधिकारी ने महापौर का चुनाव कराए बिना कार्यवाही स्थगित कर दी। पिछले साल चार दिसंबर को चुनाव के बाद 250 सदस्यीय निकाय के पहले सत्र में कोई कामकाज नहीं हो पाया। दूसरे सत्र में नामांकित सदस्यों के शपथ लेने के बाद निर्वाचित पार्षदों ने शपथ ली। हालांकि इसके बाद पीठासीन अधिकारी और भाजपा पार्षद सत्या शर्मा ने कार्यवाही को अगली तारीख के लिए स्थगित कर दिया। एमसीडी चुनाव में ‘आप’ 134 पार्षदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, जबकि भाजपा को 104 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थीं।