नई दिल्ली : के संविधान दिवस पर दिए गए भाषण के बाद न्यायिक सेवाओं में भर्ती को लेकर नई बहस शुरू हो गई है। ऐसा लगता है निचली न्यायपालिका में जजों की सीधी भर्ती के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) के गठन के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव पर केंद्र की ओर से नए सिरे से जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट परिसर में संविधान दिवस समारोह में अपने भाषण में न्यायपालिका के लिए यूपीएससी जैसी संस्था के महत्व पर जोर दिया। राष्ट्रपति ने अपने भाषण में कहा था कि एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा हो सकती है जो प्रतिभाशाली युवाओं का चयन कर सकती है। साथ ही उनकी प्रतिभा को निचले स्तर से उच्च स्तर तक पोषित और बढ़ावा दे सकती है। राष्ट्रपति के बयान के मायने क्या हैं?राष्ट्रपति मुर्मू का कहना था कि जो लोग बेंच की सेवा करने की इच्छा रखते हैं उन्हें प्रतिभा का एक बड़ा पूल बनाने के लिए देश भर से चुना जा सकता है। ऐसी प्रणाली कम प्रतिनिधित्व वाले सामाजिक समूहों को भी अवसर प्रदान कर सकती है। ऐसे में सवाल है कि आखिर राष्ट्रपति के भाषण के मायने क्या हैं? सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कॉलेजियम की सिफारिशों के माध्यम से की जाती है। इसमें सीजेआई और शीर्ष अदालत के चार सीनियर मोस्ट जज शामिल होते हैं। इसलिए, राष्ट्रपति की सिफारिश केवल निचली न्यायपालिका में जजों के चयन के लिए जगह छोड़ती है। यह मोटे तौर पर एआईजेएस का विचार है, जो मुख्य रूप से राज्यों के विरोध के कारण दशकों से लंबित है। AIJS पर क्या है स्थितिवर्तमान में, जूडिशियल मजिस्ट्रेट, डिस्ट्रिक्ट जज और सेशन कोर्ट के जजों का का सेलेक्शन स्टेट हाईकोर्ट की तरफ से किया जाता है। विधि आयोग ने 1958 में AIJS की स्थापना की सिफारिश की थी। इसने 1978 और 1986 में दायर रिपोर्टों में अपनी सिफारिश दोहराई। इस विचार को आखिरी बार 2020 में नए सिरे से बढ़ावा दिया गया था, जब केंद्र ने संसद को बताया कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा देश भर में न्याय प्रशासन प्रणाली को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में एक राष्ट्रीय स्तर की योग्यता-आधारित चयन प्रणाली इसके लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। उपयुक्त रूप से योग्य कानूनी प्रतिभा को शामिल करना। हालांकि, 2022 में, तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा को बताया था कि कई राज्य सरकारों और हाई कोर्ट्स के बीच आम सहमति की कमी के कारण अखिल भारतीय न्यायिक सेवाओं को लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह प्रस्ताव कितना सही?इस विचार के समर्थकों का तर्क है कि ऑल इंडिया जूडिशियल सर्विस निचली न्यायपालिका में वंचित वर्गों के लोगों को अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करके सामाजिक समावेशन के मुद्दे को संबोधित करेगा। हालांकि, कई राज्य एआईजेएस का कड़ा विरोध करते हुए कह रहे हैं कि यह उनकी शक्तियों को कमजोर करता है। राज्यों का यह भी कहना है कि यह संघवाद की भावना के खिलाफ भी है।