बहन की शादी में जा रहे थे लखनऊ
हरिकेश का जन्मदिन पांच दिसंबर को मनाया जाना था। इससे तीन दिन पहले उनकी मौत आ गई। दरअसल, बहन की शादी को लेकर दिल्ली में रहने वाले हरिकेश कुमार दुबे लखनऊ जा रहे थे। घरवाले उसके जन्मदिन की तैयारी में जुटे। खासकर उसके दोनों मासूम बच्चे। लेकिन, नीयति को शायद कुछ और ही मंजूर था। ट्रेन से तेज दौड़ती मौत को वे भांप नहीं पाए। घरवालों के बर्थडे मनाने की तैयारी अधूरी रह गई। बहन की शादी में शामिल होने का इरादा भी। अब हर तरफ गम है। आंसू हैं। दुख है। 32 वर्षीय हरिकेश अब इस दुनिया में नहीं रहे। रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही के कारण इस प्रकार का हादसा होने की बात कही जा रही है।
जेब से हाथ भी न निकाल पाए हरिकेश
नीलांचल एक्सप्रेस शुक्रवार की सुबह अलीगढ़ के पास पहुंची तो बड़ा हादसा हो गया। यह हादसा हैरान करने वाला था। दरअसल, डावर स्टेशन के पास लाइन पर रेलवे का काम चल रहा था। इसलिए सुबह 9 से 10.30 तक का ब्लॉक किया गया था। मजदूरों ने 25 मिनट पहले ही काम शुरू कर दिया। इसी वक्त नीलांचल एक्सप्रेस गुजरी। ट्रैक के किनारे रखा एक पांच फीट का सब्बल उड़ा। खिड़की के कांच को तोड़ता हुआ, हरिकेश के गले के आरपार हो गया। हादसा इतनी जल्दी हुआ कि सब हैरान रह गए। हरिकेश ने किसी कार्य के लिए अपना हाथ जेब में डाला था। वह भी वे निकाल नहीं पाए। उनका मोबाइल सीट पर रखा था। वे मोजा पहने हुए थे। अलीगढ़ के प्लेटफार्म नंबर 3 पर जब नीलांचल एक्सप्रेस रुकी तो जनरल बोगी का हर पैसेंजर हैरान- परेशान था। कई तो कांप रहे थे। जनरल बोगी के सीट नंबर 15 पर बैठे हरिकेश पुतला बन चुके थे। 5 फीट का सब्बल गले के आरपार था। बोगी में फर्श पर खून बिखरा पड़ा था। खिड़की के शीशे टूटे हुए सीट पर बिखरे पड़े थे। यह घटना कैसे घटी? हर कोई पूछ रहा था। जवाब न अधिकारी और न जीआरपी के पास था।
खौफनाक हादसे को याद कर दहल जाते हैं यात्री
हरिकेश के बगल की सीट पर बैठ है शैलेंद्र कुमार तो हादसे को याद करके सुबकने लगते हैं। कहते हैं, अचानक शीशा टूटने की तेज आवाज आई। कुछ समझ पाते तब तक विंडो सीट पर बैठे हरिकेश खामोश हो चुके थे। ऐसा हादसा पहले कभी नहीं देखा था। हर कोई जनरल बोगी में बैठे लोगों से इस घटना के बारे में पूछता दिख रहा था। नीलांचल एक्सप्रेस अलीगढ़ स्टेशन पर करीब एक घंटे तक रुकी रही। शव को उतारा गया। गर्दन में फंसा सब्बल निकाला गया। जीआरपी को जेब से मिले आई कार्ड से दिल्ली की कंपनी का पता चला। फोन किया गया और फिर परिजनों को जानकारी दी गई। अधिकारियों ने यात्रियों से भी बात की। यात्रियों ने कहा कि रेलवे के कर्मचारियों की ओर से कार्य किया जा रहा था। वहीं से सब्बल आया।
कैसे सब्बल आया? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए दो टीमें बनाई गई। जीआरपी थाना प्रभारी सुबोध कुमार को घटनास्थल पर भेजा गया। आरपीएफ इंस्पेक्टर राजीव वर्मा ट्रेन में यात्रियों से पूछताछ के लिए इटावा तक गए। दिल्ली के मनोज कुमार कहते हैं कि जीवन में इस हादसे को भुला पाना आसान नहीं होगा। इटावा में उन्होंने बताया कि ऐसा खौफनाक दृश्य पहली बार देखा। एक शादी समारोह में शामिल होने इटावा आ रहे थे। ट्रेन के इंजन से चौथी बोगी में एसी कोच बी-1 में हमारी सीट थी। हादसे के समय ही जानकारी मिली। अलीगढ़ स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो हम लोग देखने गए। जब देखा तो हमारे हाथ पांव कांप गए। उन्होंने रेलवे की लापरवाही की बात कही।
क्या कहता है नियम?
रेलवे के नियमों के अनुसार, पटरी पर किसी भी प्रकार के कार्य से पहले मजदूरों, कर्मचारियों और यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता है। इसलिए, ब्लॉकेज लिया जाता है। ब्लॉकेज के समय में ट्रेन का परिचालन रोक दिया जाता है। मजदूरों को हूटर और लाल रंग के कपड़े से लैस किया जाता है। आपात स्थिति में वे इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। अब पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या इनके पास सुरक्षा के प्रबंध थे या नहीं? यह जानने के लिए हादसे के बाद टीम बनाकर जांच शुरू कर दी गई है। जीआरपी के थाना प्रभारी सुबोध कुमार सुबह 9 बजे ही डाबर के लिए रवाना कर दिए गए। हालांकि, शुक्रवार दोपहर तक कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया। सोमना रेलवे स्टेशन के करीब 500 मीटर की दूरी पर एक सीमेंट फैक्ट्री के लिए रेलवे लाइन डालने का काम चल रहा है। यहां भी उसी तरह के सब्बल पाया गया। जैसा यात्री की गर्दन में लगा था।
रेलवे के अधिकारियों का मानना है कि हादसा यहीं हुआ। हालांकि, जीआरपी जांच करते हुए डाबर स्टेशन पर पहुंची। यहां 12 कर्मचारी काम पर लगे हुए थे। वहां भी इसी प्रकार का सब्बल पाया गया। काम शुरू करने के लिए यात्रियों- कर्मचारियों ने ब्लॉक तो लिया था, लेकिन ब्लॉक के समय से पहले ही काम शुरू कर दिया गया। इसकी निगरानी सीनियर टेक्निकल इंजीनियर कर रहे थे। टीम शाम करीब 7 बजे वापस लौटी। जीआरपी थाना प्रभारी ने बताया कि इंजीनियर और लोगों की पूछताछ चल रही है। घटना सामने आने के बाद प्रयागराज मुख्यालय के अधिकारी भी लगातार इसकी जानकारी ले रहे हैं।