खांसी, सर्दी, बुखार… कोरोना के बाद H3N2 ने डराया, डॉक्टरों ने बताया ऐसे लक्षण दिखें तो क्या करें

नई दिल्ली : दिल्ली और आसपास के एरिया में फ्लू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें लोगों को बुखार के साथ लगातार खांसी परेशान कर रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये मामले इन्फ्लुएंजा ए वायरस के एच3एन2 प्रकार से संबंधित हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और आईएमए लगातार इस संबंध में दिशानिर्देश जारी कर रहे हैं। स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक ने केंद्रीय अस्पतालों के वरिष्ठ अधिकारियों और मेडिसिन के एक्सपर्ट के साथ मीटिंग भी की है। एम्स में सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के प्रोफेसर हर्षल आर साल्वे ने कहा कि फ्लू वायरस के फैलने में वृद्धि क्लाइमेट कंडिशन के कारण है।हवा से फैल रहा संक्रमण लेकिन कोविड नहींराम मनोहर लोहिया अस्पताल में वायरल इंफेक्शन के डायरेक्टर डॉ. अजय शुक्ला का कहना है कि कोविड खत्म हो गया है लेकिन कई अन्य वायरल संक्रमण जैसे H3N2 अभी भी मौजूद हैं। डॉ. शुक्ला का कहना है कि कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए ये संक्रमण गंभीर हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर लोग मास्क का प्रयोग जारी रखेंगे तो इससे काफी मदद मिलेगी। साथ ही, हम इन विषाणुओं के लिए टीकाकरण शुरू करने का निर्णय ले रहे हैं। H3N2 संक्रमण फिलहाल हवा में मौजूद है लेकिन यह कोविड वैरिएंट नहीं है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के एमडी (चेस्ट) डॉ. अमित सूरी का कहना है कि हमारे पास प्रतिदिन वायरल संक्रमण के 20-25% मामले आ रहे हैं। कई मरीज बुजुर्ग हैं। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान पालन किए गए सावधानियों का पालन करने की जरूरत है। सांस से जुड़ी बीमारी का कारण है H3N2 इस संबंध में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि इन्फ्लुएंजा ए उपप्रकार एच3एन2 देश में सांस संबंधी मौजूदा बीमारी का प्रमुख कारण है। ईसीएमआर-डीएचआर (स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग) ने 30 वीआरएलडी (वायरल अनुसंधान और नैदानिक प्रयोगशालाओं) में पैन-रेस्पिरेटरी वायरस निगरानी प्रणाली स्थापित की है। के मुताबिक, गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) के लिए भर्ती किए गए सभी रोगियों में से लगभग आधे, साथ ही साथ इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के लिए बाहरी रोगियों का इलाज किया जा रहा है, उनमें इन्फ्लूएंजा ए एच3एन2 पाया गया है। क्या हैं बीमारी के लक्षणआईसीएमआर ने कहा, यह सब वेरिएंट अन्य इन्फ्लूएंजा सब वेरिएंट की तुलना में अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण है। इन्फ्लूएंजा ए एच3एन2 के साथ अस्पताल में भर्ती किए गए रोगियों में लगभग 92 प्रतिशत को बुखार, 86 प्रतिशत को खांसी, 27 प्रतिशत को सांस फूलने और 16 प्रतिशत को घरघराहट की परेशानी थी। इसके अलावा, 16 प्रतिशत में निमोनिया के लक्षण थे और 6 प्रतिशत को अस्थमा का दौरा पड़ा था। किस उम्र के लोग हैं अधिक प्रभावितइंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने कहा, कुछ मामलों में खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि देखी गई है। बुखार तीन दिनों के अंत में दूर हो जाता है, जबकि खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है। इसके अलावा, आईएमए ने कहा कि मामले आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक और 15 वर्ष से कम उम्र के लोगों में देखे जाते हैं। कुछ लोग बुखार के साथ ऊपरी श्वसन संक्रमण की भी रिपोर्ट कर रहे हैं। वायु प्रदूषण भी इसका एक कारक है। एच3एन2 का संक्रमण इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण फैलता है, जो पांच से सात दिनों तक रहता है। एंटीबायोटिक का इस्तेमाल रोकने की सलाहइंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी। आईएमए ने डॉक्टरों से कहा है कि वे केवल रोग से जुड़ा ही इलाज दें। इसके लिए एंटीबायोटिक दवाओं की कोई जरूरत नहीं है। आईएमए ने कहा कि लोगों ने लगातार ऐथरेसिन और एमोक्सिक्लेव जैसे एंटीबायोटिक्स लेना शुरू कर दिया है। एक बार जब वे बेहतर महसूस करने लगते हैं तो बंद कर देते हैं। उन्होंने कहा कि इसे रोकने की जरूरत है, क्योंकि यह एंटीबायोटिक बाद में शरीर पर बेअसर हो जाता है। आईएमए ने लिखा, जब भी एंटीबायोटिक दवाओं का वास्तविक उपयोग होगा, वे रेजिस्टेंस के कारण काम नहीं करेंगे।