कर्नाटक के प्रसिद्ध मैसूर शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्री चामुंडेश्वरी मंदिर 1000 साल से भी अधिक पुराना है। ये मंदिर मां दुर्गा के चामुंडा रूप को समर्पित है। मां दुर्गा ने ये रूप देवताओं को महाशक्तिशाली राक्षस महिषासुर के अत्याचार से मुक्त कराने के लिए लिया था। अब मैसूरु की पीठासीन देवता देवी चामुंडेश्वरी कर्नाटक सरकार की ‘गृह लक्ष्मी’ योजना के लाभार्थियों में शामिल किया जाएगा। ये योजना एपीएल/बीपीएल कार्ड रखने वाले परिवारों की महिला मुखिया को 2,000 रुपये की पेशकश करती है।इसे भी पढ़ें: विजयेंद्र ने कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष का कार्यभार संभाला, राज्य में सभी लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्यदेवी चामुंडेश्वरी को मिलेंगे रु. हर महीने 2,000कांग्रेस एमएलसी और पार्टी के राज्य मीडिया सेल के उपाध्यक्ष दिनेश गूलीगौड़ा ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि योजना के तहत हर महीने देवी को 2,000 रुपये का भुगतान किया जाए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख शिवकुमार भी इस प्रस्ताव पर सहमत हुए और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर को हर महीने चामुंडेश्वरी मंदिर के खाते में राशि जमा करने का निर्देश दिया। गूलीगौड़ा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उपमुख्यमंत्री ने मेरे अनुरोधित पत्र का तुरंत जवाब दिया और लक्ष्मी हेब्बालकर को अपने विभाग से या व्यक्तिगत रूप से देवी को हर महीने 2,000 रुपये जमा करने का निर्देश दिया।गृह लक्ष्मी योजना क्या हैकर्नाटक सरकार ने 30 अगस्त को महल शहर मैसूरु से देवी चामुंडेश्वरी मंदिर को पहली किस्त जमा करके गृह लक्ष्मी योजना शुरू की। इसे देवी को समर्पित करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और शिवकुमार ने योजना की सफलता के लिए प्रार्थना की थी, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की महिलाओं को सशक्त बनाना है। इसे भी पढ़ें: कांग्रेस ने कुमारस्वामी पर लगाया बिजली चोरी का आरोप, कर्नाटक अंधेरे में है और आपना अपना घर किया रोशनक्या है चामुंडेश्वरी मंदिर का इतिहासदेवी माहात्म्य में जिन माता चामुंडा का प्रमुख रूप से जिक्र किया गया है, वो इस हजारों वर्ष पुराने मंदिर की मुख्य देवी हैं। देवी पुराण और स्कन्द पुराण में इस दिव्य क्षेत्र का वर्णन मिलता है। पुराणों के अनुसार जब महिषासुर ने ब्रह्माजी की तपस्या से वरदान हासिल किया तो वो देवताओं पर ही अत्याचार करने लगा था। ब्रह्माजी ने महिषासुर को वरदान दिया था कि उसका वध एक स्त्री के माध्यम से ही होगा। ये जानकारी सभी देवता मां दुर्गा के पास पहुंचे और इस समस्या का समाधान करने के लिए कहा। तब मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए चामुंडा का रूप धारण किया। इसके बाद इसी स्थान पर माता चामुंडा और महिषासुर में भयानक युद्ध हुआ और अंतत: माता चामुंडा ने उस राक्षस का वध कर दिया।