वो जमाना चला गया… कांग्रेस की ओर से क्या कहा गया
2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की बात तो की जाती है लेकिन यह कैसे संभव होगा इसको लेकर कई सवाल हैं। हालांकि इन सब सवालों के बीच यह कहा जाता है कि बीजेपी का राष्ट्रीय स्तर पर एकमात्र विकल्प कांग्रेस पार्टी ही है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने पिछले दिनों कहा कि विपक्षी एकता के नाम पर कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव में सिर्फ 200 सीट पर लड़े यह कैसे संभव। उन्होंने कहा कि विपक्ष की एकजुटता का मतलब कुछ लेना और कुछ देना है। जयराम रमेश ने कहा कि अब वो जमाना चला गया जब कांग्रेस विपक्षी दलों को सिर्फ दिया करती थी। कांग्रेस महासचिव की ओर से जो बात कही गई है उससे एक बात तो तय है कि यदि विपक्षी दल साथ आते हैं तो नेता कौन होगा इससे पहले सीटों को लेकर भी टकराव देखने को मिल सकता है। सीटों का गणित सुलझाए बगैर कोई राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बने इसकी गुंजाइश काफी कम बची है। कांग्रेस की ओर से जो बात 200 सीटों को लेकर कही जा रही है उससे पहले इन 210 सीटों का भी जवाब उसे ही खोजना पड़ेगा।
क्या है 210 सीटों का गणित, इन चार राज्यों से निकलेगा हल
वर्तमान समय में लोकसभा की कुल 543 सीटें हैं। इन 543 सीटों में से 210 सीटें केवल चार राज्यों से आती हैं। लोकसभा की सबसे अधिक सीटें उत्तर प्रदेश में है। यहां कुल 80 सीटें हैं। इसके बाद महाराष्ट्र जहां 48 सीटें और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल जहां से लोकसभा की 42 सीटें हैं। इसके बाद इस लिस्ट में चौथे पायदान पर है बिहार जहां 40 सीटें हैं। पूर्व के चुनावों में यह देखने को मिला है कि जो भी दल इन राज्यों में बढ़त बनाने में कामयाब हुए उनकी दिल्ली की राह आसान हो गई। बीजेपी की दो बार से शानदार जीत के पीछे भी इन चार राज्यों का काफी योगदान है। अब कांग्रेस को भी इन 210 सीटों का जवाब खोजना होगा और रही बात चुनाव से पहले गठबंधन की तो सीटों को लेकर यहां मामला जरूर अटकेगा। बात सबसे पहले यूपी की-
यूपी: बात सबसे पहले देश के सबसे बड़े सियासी सूबे उत्तर प्रदेश की। यहां लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं जो किसी भी राज्य से कहीं अधिक है। पिछले चुनाव की बात की जाए तो यहां कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार जाते हैं। पूरे प्रदेश में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट मिलती है वह भी रायबरेली की। यहां से सोनिया गांधी जीत हासिल करने में कामयाब हुईं। इस बार 2024 से पहले कोई गठबंधन विपक्षी दलों के बीच होता है तो उसमें समाजवादी पार्टी और बसपा का स्टैंड बहुत मायने रखता है। बीजेपी के बाद प्रदेश में सपा का दूसरा सबसे बड़ा जनाधार है। उसके बाद बहुजन समाज पार्टी है। पिछले साल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का क्या हश्र हुआ सबने देखा। वर्तमान राजनीतिक समीकरण को देखा जाए तो यहां विपक्षी दलों के बीच अखिलेश की ही चलेगी। ऐसे में कौन समझौता करेगा यह देखने वाली बात होगी। हालांकि यह सबकुछ गठबंधन पर निर्भर करेगा।
महाराष्ट्र: यूपी के बाद सबसे अधिक लोकसभा सीटें महाराष्ट्र में है। यहां पर लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस राज्य से भी कांग्रेस के खाते में केवल एक सीट आई। हालांकि महाराष्ट्र में इस बार राजनीतिक समीकरण अलग है। पिछली बार शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन था लेकिन अब मामला अलग है। महाराष्ट्र में अब विपक्षी दलों की बात की जाए तो इसमें उद्धव ठाकरे की पार्टी है। शरद पवार की एनसीपी है और कांग्रेस। इन 3 दलों का मुख्य गठबंधन है और एकनाथ शिंदे के अलग होने से पहले इनकी ही राज्य में सरकार थी। अब 2024 में इन तीन दलों के बीच गठबंधन होता है तो कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा यह देखने वाली बात होगी।
बंगाल: तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है और यहां पर लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं। यहां पिछले चुनाव में मुख्य मुकाबला टीएमसी और बीजेपी के ही बीच देखने को मिला था। कांग्रेस को इस राज्य में केवल 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। सीटों के लिहाज से यह राज्य काफी अहम है। बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी विपक्षी दलों की नेता बनने के लिए कोशिश कर रही हैं और इस राज्य में कांग्रेस और टीएमसी के बीच क्या कोई गठबंधन होगा यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा। विपक्षी दलों में कांग्रेस और टीएमसी के अलावा वामदल भी है। इन तीनों का गठबंधन हुआ तभी सही मायने में विपक्ष का गठबंधन माना जाएगा।
बिहार: अब बारी बिहार की जहां की जनता सियासी तौर पर काफी जागरूक मानी जाती है। बिहार चौथा राज्य है जहां लोकसभा की सीटें अधिक हैं। यहां कुल 40 सीटें हैं। इस राज्य में भी समीकरण इस बार अलग है। पिछले लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी-जेडीयू का गठबंधन था और इस गठबंधन ने शानदार जीत हासिल करते हुए 40 में से 39 सीटों पर कब्जा जमाया था। एक सीट कांग्रेस के खाते में गई थी। लेकिन इस बार अब आरजेडी-जेडीयू दोनों साथ हैं। इन दोनों के अलावा कांग्रेस भी है। ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि जेडीयू और आरजेडी के बीच कांग्रेस की यहां कितनी चलती है। हालांकि यह गठबंधन पर ही निर्भर करेगा।