दिल्ली में बड़े गेम के लिए कांग्रेस ले आई अपना ‘अरविंद’र, अब क्या करेंगे केजरीवाल?

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने दिल्ली में बड़ा दांव चला है। कांग्रेस ने प्रदेश के कद्दावर नेता रहे को राजधानी में कांग्रेस की कमान सौंपी है। लवली, अनिल चौधरी की जगह नई जिम्मेदारी संभालेंगे। अरविंदर सिंह लवली की नियुक्ति को लोकसभा चुनाव से पहले संगठन को नए सिरे से खड़ा करने की रणनीति माना जा रहा है। अरविंदर सिंह लवली 15 साल तक रही शीला दीक्षित सरकार में शिक्षा से लेकर पर्यटन मंत्रालय की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। चुनाव से पहले लवली की नियुक्ति के बाद अब आदमी पार्टी और सीएम अरविंद केजरीवाल किस रणनीति पर आगे बढ़ती है। लवली पहले भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। कांग्रेस की नई रणनीति का हिस्सा?दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की चर्चा चल रही है। दोनों दल विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस की नेता अलका लांबा ने कहा था कि पार्टी ने कार्यकर्ताओं को सभी सीटों पर तैयार रहने को कहा है। इसके बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में तलवारें खिंच गई थीं। हालांकि, बाद में कांग्रेस की तरफ से डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई थी। ऐसे में अब कांग्रेस की तरफ से लवली के प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस पूरी तरह से अपना संगठन मजबूत कर लोकसभा चुनाव में उतरना चाहती है। सिख समुदाय में अच्छी पैठअरविंद सिंह लवली दिल्ली के कद्दावर नेता रहे हैं। लवली की सिख समुदाय में अच्छी पैठ मानी जाती है। दिल्ली में सिख समुदाय की अहम भूमिका है। ऐसे में पार्टी ने लवली की नियुक्ति के जरिए इस वर्ग को भी साधना चाहती है। अरविंद सिंह लवली शीला दीक्षित सरकार में शिक्षा, शहरी विकास, पर्यटन और परिवहन मंत्री रह चुके हैं। अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस के 4 बार विधायक रहे हैं। 1998 में पहली बार दिल्ली के गांधी नगर से विधायक बने थे। 2019 में अरविंद सिंह लवली ने पूर्वी दिल्ली से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था। 2017 में बीजेपी में हुए थे शामिलअरविंदर सिंह लवली 2017 में नगर निगम चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे। माना जा रहा है थी पार्टी में उपेक्षा के बाद उन्होंने यह कदम उठाया था। हालांकि, बीजेपी के साथ उनका सफर लंबा नहीं चला। महज एक साल के भीतर ही उन्होंने पार्टी में घर वापसी कर ली थी। कांग्रेस में वापसी करते हुए लवली ने कहा कि था कि मैं वैचारिक रूप से वहां मिसफिट था। मैंने पीड़ा में पार्टी छोड़ी थी। लवली ने राहुल गांधी से मुलाकात के बाद पार्टी में वापसी का निर्णय लिया था।