कांग्रेस ने अडानी पर पीएम मोदी से फिर पूछे 3 सवाल- मित्र का लाभ, बांग्लादेश का नुकसान, कैसी विदेश नीति!

हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह को लेकर हुए खुलासों को लेकर जहां एक  ओर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल लगातार सरकार से सवाल कर रहे हैं, वहीं पीएम मोदी ने खामोशी की चादर ओढ़ रखी है। मुख्य रूप से कांग्रेस इस मुद्दे पर संसद से लेकर सड़क तक बीजेपी और पीएम मोदी पर हमलावर है जेपीसी जांच की मांग कर रही है। लेकिन सरकार की ओर से संदिग्ध चुप्पी जारी है। ऐसे में कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर ‘हम अडानी के हैं कौन’ सीरीज शुरू की है, जिसके जरिए कांग्रेस पीएम मोदी और उनकी सरकार से रोज तीन सवाल पूछ रही है। इसी के सीरीज के तहत आज नौवें दिन भी कांग्रेस नेता जमराम रमेश ने पीएम मोदी से फिर तीन सवाल पूछे हैं।इसे भी पढ़ेंः कांग्रेस पूछेगी अडानी मामले पर पीएम मोदी से रोज 3 सवाल, पहले सवालों में कहा- आप बताएं कि ‘आप अडानी के हैं कौन’!कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के कम्यूनिकेशन प्रभारी जयराम रमेश ने आज फिर एक बयान जारी कर पीएम मोदी से अडानी पर तीन सवाल पूछे हैं। इस पत्र में जयराम रमेश ने लिखा है कि “प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी, जैसा कि आपसे वादा था,  हम अडानी के हैं कौन श्रृंखला के तहत आपके लिए आज का तीन प्रश्नों का सेट प्रस्‍तुत है। प्रश्नों का यह सेट अपने पूंजीपति मित्रों को और अमीर बनाने के लिए आपके द्वारा विदेश नीति के दुरुपयोग को लेकर है, यहां मामला हमारे पड़ोसी बांग्लादेश के साथ संबंधों का है।” आज के सवाल इस प्रकार हैं- इसे भी पढ़ेंः अडानी मामले पर पीएम मोदी से कांग्रेस ने फिर पूछे 3 सवाल- LIC ने जोखिम भरे समूह में भारी निवेश कैसे किया?पहला सवालः NTPC की कीमत पर मित्र को बांग्लादेश में दिलाया लाभ!अपने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने के उद्देश्‍य से यूपीए सरकार ने वर्ष 2010 में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी द्वारा बगेरहाट, बांग्लादेश में 1,320 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट लगाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था। सत्ता में आने के बाद, आपने इसके विपरीत, अपने ‘डबल ए’ मित्रों की मदद करने का निर्णय लिया और 6 जून 2015 को आपकी ढाका यात्रा के दौरान, यह घोषणा की गई कि अडानी पावर और रिलायंस पावर बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने के लिए थर्मल पावर प्लांट का निर्माण करेंगे। क्या यह सच है कि आपने अपनी समकक्ष प्रधानमंत्री शेख हसीना पर उन शर्तों को स्वीकार करने के लिए दबाव डाला, जो अडानी पावर के लिए अत्यंत अनुकूल और बांग्लादेश के लिए प्रतिकूल थीं और अडानी के गोड्डा (झारखंड) बिजली संयंत्र से बांग्लादेश को आपूर्ति की जाने वाली बिजली की लागत उसके अपने संयंत्रों में बिजली की लागत से कहीं अधिक थी? क्या पड़ोसी देशों की कीमत पर अपने मित्रों को और अमीर बनाना भारत की विदेश नीति के हितों को आगे बढ़ाता है?इसे भी पढ़ेंः हम अडानी के हैं कौन: बिना किसी बोली के अडानी समूह को बेच दिए गए बंदरगाह! कांग्रेस ने पीएम मोदी से फिर पूछे 3 सवालदूसरा सवाल- झारखंड का नुकसान कर अडानी को क्यों पहुंचाया गया लाभ?झारखंड को मूल रूप से एक बिजली संयंत्र द्वारा उत्पादित बिजली के 25% हिस्से की रियायती दरों पर ज़रूरत थी। यह अडानी पावर के साथ इसके फरवरी 2016 के शुरुआती समझौते में उल्‍लेखित किया गया था। हालांकि, अक्टूबर 2016 में, अडानी को लाभ पहुंचाने के लिए इस नीति में अचानक संशोधन कर दिया गया। क्या यह सही है कि सरकारी ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार परियोजना के 25 साल के जीवनकाल में इन संशोधित शर्तों के कारण झारखंड राज्‍य को 7,410 करोड़ रुपए का अतिरिक्‍त खर्च वहन करना पड़ेगा? क्या राज्य के महालेखाकार के कार्यालय द्वारा 12 मई 2017 को लिखित रूप में ये कहा गया कि अडानी के साथ यह समझौता “पक्षपातपूर्ण व्‍यवहार” की परिधि में आता है और इससे अडानी की कंपनी को “अनुचित लाभ” मिलेगा? राज्य सरकार की इस लंबे समय से चली आ रही नीति को बदलने के लिए झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को राज़ी करने में आपकी क्या भूमिका थी?इसे भी पढ़ेंः कांग्रेस ने पीएम मोदी से फिर पूछे 3 सवाल- कृषि से एयरपोर्ट तक अडानी का कब्जा, मदद जारी रहेगी या…तीसरा सवाल- क्या झारखंड में अडानी के अंधाधुंध लाभ के लिए बदले नियम?फ़रवरी 2018 में अडानी पावर ने कर में छूट का लाभ उठाने के लिए गोड्डा पावर प्लांट को एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईज़ेड) के अंतर्गत स्थापित करने के लिए आवेदन किया था। तथापि वाणिज्य मंत्रालय द्वारा इस आवेदन को अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि यह उन दिशानिर्देशों का उल्‍लंघन करता था, जो एक विशेष आर्थिक क्षेत्र के भीतर एक विशिष्‍ट अकेले बिजली संयंत्र की स्थापना को प्रतिबंधित करते थे। फिर भी 9 जनवरी, 2019 को वाणिज्य मंत्रालय ने अपना दृष्टिकोण बदला और उन दिशानिर्देशों में संशोधन कर दिया। इसके तुरंत बाद, 25 फ़रवरी 2019 को, विशेष आर्थिक क्षेत्रों के प्रभारी अनुमोदन बोर्ड ने अडानी पावर के आवेदन को अपनी मंज़ूरी दे दी। इस नीतिगत बदलाव में प्रधानमंत्री कार्यालय की क्या भूमिका थी, जिससे अडानी पावर को कोयले के आयात शुल्क के उन्मूलन से प्रति वर्ष 300 करोड़ रुपए का लाभ प्राप्‍त हुआ?इसे भी पढ़ेंः हम अडानी के हैं कौन: जयराम रमेश ने आज फिर पूछे 3 सवाल- क्या मोदी सरकार ने सेबी पर जांच धीमी करने के लिए दबाव डाला था?