बिहार में बीजेपी का CKSR गेम, लोकसभा चुनाव में नीतीश के खिलाफ सियासी चौकड़ी की तैयारी

पटना: लोकसभा चुनाव में अभी भले देरी हो लेकिन बिहार में सभी दलों ने इसको लेकर अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। इसमें भाजपा को सफलता भी मिलती दिख रही है। महागठबंधन भी विपक्षी दलों को एकजुट करने को लेकर चर्चा कर रही है। बिहार में चल रही सियासत में घट रही घटनाओं पर गौर करें तो जनता दल यूनाइटेड को छोड़कर अलग राष्ट्रीय लोक जनता दल बना चुके उपेंद्र कुशवाहा से मिलने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल पहुंच चुके हैं। इधर, कुशवाहा का भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रेम छलकता दिख रहा है। उन्होंने भी एनडीए से नजदीक के संकेत देते हुए कहा है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री के रूप में फिलहाल कोई चुनौती नहीं दिख रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि कुशवाहा की पार्टी एनडीए में शामिल हो सकती है।चिराग-कुशवाहा-सहनी की तिकड़ी से होगा खेल!नीतीश कुमार के पलटी मारने यानी एनडीए के साथ छोड़कर महागठबंधन में जाने के बाद भाजपा अकेले हो गई थी। दीगर बात है कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी भाजपा के साथ खड़ी रही। लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और सांसद चिराग पासवान की भी भाजपा से नजदीकी जगजाहिर है। माना जाता है कि चिराग की पार्टी भी जल्द ही एनडीए में शामिल हो जाएगी। इधर, सूत्रों का कहना है कि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी भाजपा की चौखट पर पहुंच चुकी है। वैसे, वीआईपी के पास फिलहाल न कोई विधायक है और न ही कोई सांसद है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने एक दिन पहले ही वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की सुरक्षा बढ़ा दी है। वैसे, सहनी पर भाजपा ज्यादा विश्वास नहीं कर पा रही है। कहा जा रहा है कि भाजपा सहनी के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारे जाने की घटना को भूल नहीं पाई है। उल्लेखनीय है कि भाजपा वीआईपी के तीन विधायकों को तोड़कर पार्टी में शामिल कर चुकी है। इसके बाद सहनी की भाजपा के प्रति नाराजगी भी उभरी है। आरसीपी की भी बीजेपी से नजदीकी बढ़ीइधर, जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर सी पी सिंह की भी भाजपा के साथ नजदीकी बढ़ी है। बहरहाल, देखे तो भाजपा अगले साल संभावित लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति के तहत बिसात बिछाने में जुट गई है। ऐसे, में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा किस छोटे दलों पर ज्यादा विश्वास जताती है। वैसे माना यह भी जा रहा है कि लोजपा (रामविलास) को छोड़ दें तो किसी भी छोटे दलों के पास इतनी मजबूत पकड़ नहीं जो बिना किसी बड़े दल के सहयोग से लोकसभा की एक भी सीट निकाल सके। इस कारण भाजपा भी वेट एंड वाच की स्थिति में है।