नई दिल्ली : आईजीआई एयरपोर्ट पर यात्रियों की जांच के दौरान सीआईएसएफ 30 रजिस्टर मेंटेन करती आई है। लेकिन, समय की बर्बादी वाली इस लंबी प्रक्रिया से सीआईएसएफ को मुक्ति मिलनी शुरू हो गई है। फिलहाल यहां के तीन टर्मिनलों में से अब टी-3 (डोमेस्टिक जोन में) के बाद टी-2 में सीआईएसएफ अधिकारियों को 10 पामटॉप दे दिए गए हैं। इसके बाद से अब यात्रियों की जांच के दौरान इनसे जो भी प्रतिबंधित चीजें बरामद होती हैं, इन सभी की एंट्री रजिस्टर में मैनुअली ना करके पामटॉप (हथेली पर रखकर काम करने वाली टैबलेट जैसी डिवाइस) में डिजिटली अपलोड करना शुरू हो गई हैं। इससे इन दोनों टर्मिनलों पर इन तमाम रजिस्टरों की छुट्टी हो गई है। इससे यात्रियों को भी इस प्रक्रिया से जल्दी छुटकारा मिलना शुरू हो गया है।जुलाई से सितंबर तक चला ट्रायलइस चीज़ को सबसे पहले पिछले साल मार्च में एनबीटी ने हाईलाइट किया था। इसके बाद से इस दिशा में काम होना शुरू हुआ, लेकिन धीरे-धीरे। पिछले साल जुलाई-अगस्त-सितंबर में इसका ट्रायल भी किया गया था। इस दौरान सीआईएसएफ को पामटॉप का इस्तेमाल करना भी सिखाया गया था। अधिकारियों ने बताया है कि ट्रायल पूरी तरह से कामयाब रहने के बाद पहले टी-3 में 20 पामटॉप दिए गए थे। इसके बाद अब टी-2 में भी दिल्ली एयरपोर्ट चलाने वाली कंपनी डायल ने सीआईएसएफ को 10 पामटॉप दे दिए गए हैं। इनके अलावा भी अगर और अधिक पामटॉप की जरूरत महसूस होगी तो वह भी दिए जाएंगे।पामटॉप कैसे करेगा काम जानिए सबकुछ इनके बाद अब टी-1 में भी सीआईएसएफ को पामटॉप दिए जाएंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अभी तक सर्चिंग-फ्रिस्किंग के दौरान यात्रियों से लाइटर, सिगरेट, कारतूस और अन्य जितने भी प्रतिबंधित आइटम बरामद किए जाते हैं, इन सभी की डिटेल यहां रखे 30 अलग-अलग रजिस्टरों में दर्ज की जाती है। ऐसे में ना केवल इन प्रतिबंधित सामान की रजिस्टर में एंट्री दर्ज करने में समय अधिक बर्बाद होता है, बल्कि कागजों की भी बर्बादी होती है। लंबे समय से यह बात उठाई जा रही थी कि डिजिटल युग में वर्ल्ड क्लास दिल्ली एयरपोर्ट पर भी यह काम मैनुअली क्यों? इसके बाद इस पर विचार करना शुरू किया गया। अब एक साल बाद जाकर यहां टी-3 और टी-2 में पामटॉप दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि टी-1 में भी जल्द से जल्द पामटॉप दिए जाने चाहिए।