बीजिंग: अमेरिका में चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराए जाने के बाद दुनियाभर में हड़कंप मचा हुआ है। अब खुलासा हुआ है कि चीन ने पहले भी डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका के ऊपर से जासूसी गुब्बारे को उड़ाया था। इस बीच यह भी खुलासा हुआ है कि चीन ने जनवरी 2022 में भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ऊपर से विशाल जासूसी गुब्बारा उड़ाया था। उस समय भारत की तीनों ही सेनाएं अंडमान निकोबार में युद्धाभ्यास कर रही थीं। वहीं चीन का साल 2018 का एक वीडियो अब वायरल हो रहा है जिसमें ड्रैगन की सेना अत्यधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले गुब्बारे की मदद से हाइपरसोनिक मिसाइल को दाग रही है। चीन की यह तकनीक पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। रक्षा मामलों की चर्चित वेबसाइट द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक चीन बहुत तेजी से अपने हाइपरसोनिक मिसाइल कार्यक्रम को बढ़ा रहा है। अब ताजा वीडियो में नजर आ रहा है कि चीन अत्यधिक ऊंचाई पर उड़ने वाले गुब्बारे की मदद से हाइपरसोनिक ग्लाइड वीइकल के आकार के पेलोड को गिराने का अभ्यास कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आकार का पेलोड चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल से मिलता जुलता है। चीन इस तरह के हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने पर लंबे समय से काम कर रहा है। दुनिया में हाइपरसोनिक हथियारों को लेकर चल रही रेस अपनी रिपोर्ट में द ड्राइव ने कहा कि इस तरह के ऊंचाई पर उड़ने वाले गुब्बारे की मदद से हाइपरसोनिक बूस्ट ग्लाइड वीइकल का परीक्षण करना बहुत ही तर्कपूर्ण है और आंकड़े हासिल करने के लिए टेस्टिंग का शानदार तरीका है। इस वीडियो में ऐसा लग रहा है कि गुब्बारा तीन ग्लाइड वीइकल को लेकर जा रहा है। इसमें दो एक ही तरह के हैं और तीसरा अलग डिजाइन का है। चीन अक्सर अपने शैक्षिक संस्थानों के सेना से जुड़े शोध और विकास के कार्यों को अक्सर साझा करता रहता है। वहीं चीन की सेना से जुड़े किसी हथियार या प्रॉजेक्ट पर वह पूरी तरह से चुप्पी साधकर बैठा रहता है। उसने कहा कि चीन हमें वही दिखाता है जिसे वह खुद दिखाना चाहता है। अभी यह भी पता नहीं चला है कि चीन ने इस वीडियो को असल में कहां पर बनाया है। चीन के पास अभी WU-14 हाइपरसोनिक बूस्ट ग्लाइड वीइकल है जिसका वह तेजी से विकास कर रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में इसका विकास पूरा कर लेगा। रिपोर्ट के मुताबिक यह दर्शाता है कि दुनिया में हाइपरसोनिक हथियारों को लेकर एक बड़ी रेस चल रही है। इसमें अमेरिका, रूस और चीन तीनों ही ध्वनि की 5 गुना से ज्यादा रफ्तार की मिसाइलें बनाना चाहते हैं।