आज चीन पर चर्चा फिर गर्म है। अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाके में नौ दिसंबर को चीन की आक्रामकता देखने को मिली। भारतीय सैनिकों ने चीनियों के दांत खट्टे कर दिए। लेकिन, खतरा टला नहीं है। उसकी आज से नहीं सालों से तवांग पर नजरें हैं। इस बीच पक्ष और विपक्ष में तकरार शुरू हो गई है। जैसे ही विपक्ष ने इस पूरे मुद्दे पर सरकार की चुप्पी पर निशाना साधा। सरकार ने विपक्ष को आईना दिखा दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी कहा कि नेहरू प्रेम के कारण सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की बलि चढ़ी। उन दिनों की बातें दोहराई जानें लगीं। चीन का जिक्र आते ही नेहरू का नाम अपने आप आ जाता है। जिस चीन ने हमें तब युद्ध की आग में जलाया था, आखिर हमने उसे संयुक्त राष्ट्र में मजबूत क्यों होने दिया? यह वही चीन है जिसने पिछले कुछ सालों में कई बार सुरक्षा परिषद में भारत के प्रस्ताव पर वीटो किया। चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य है।
भारत पर चीन के हमले के बावजूद सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए तत्कालीन सरकार ने उसका समर्थन किया था। तब नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने इसका कारण भी बताया था। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि यह सिद्धांतों का मामला है। रिश्तों से इसका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा था संयुक्त राष्ट्र में चीन की स्थायी सदस्यता का भारत समर्थन करने के लिए तैयार है। नेहरू की बहन मानती थीं कि यह सही नहीं होगा कि कोई वैश्विक संगठन ऐसा बने जिसमें दुनिया की बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व न हो सके।