भारत की ‘चाणक्य’ चाल, जर्मनी को ऑफर देकर पाकिस्तान और चीन की खींच दी चेन

नई दिल्ली: भारत ने चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच एक बड़ा दांव चला है। दरअसल, भारत ने जर्मनी को अपने देश में रक्षा क्षेत्र में निवेश का आमंत्रण दे दिया है। माना जा रहा है कि इसके जरिए भारत चीन को दबदबे को चुनौती देने की तैयारी कर चुका है। यही नहीं भारत ने साफ कहा है कि उच्च गुणवत्ता वाले सैन्य तकनीक को पाकिस्तान को नहीं दिया जा सकता है क्योंकि वह भरोसेमंद नहीं है और साथ ही चीन से उसकी नजदीकी जगजाहिर है। भारत ने जर्मनी को दिया बड़ा ऑफर ने जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस (Boris Pistorious) के साथ मुलाकात के दौरान यूपी और तमिलनाडु में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर में निवेश तलाशने का आग्रह किया है। राजनाथ ने कहा कि भारत के पास कुशल श्रमिकों की फौज है और ये किफायती दर पर भी हैं। ऐसे में जर्मनी का निवेश और तकनीक यहां और मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लोकतंत्र और कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर एकसमान सोच को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सबमरीन का कॉन्ट्रैक्ट चाहता है जर्मनी गौरतलब है कि जर्मनी 42 हजार करोड़ रुपये के 6 स्टील्थ डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन का कांट्रैक्ट हासिल करने का इच्छुक है। ये सबमरीन क्रूज मिसाइल से लैस होंगी और इसे डिफेंस शिपयार्ड मंझगांव डॉक या एल एंड टी शिपयार्ड के साझेदारी में बनेंगी। हालांकि, भारत ने इसपर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि ये खुली प्रतिस्पर्धा होगी और इसके लिए TKMS, नवानतिया (स्पेन), और देवू (दक्षिण कोरिया) की कंपनियां प्रोजेक्ट 75 इंडिया सबमरीन प्रोग्राम की रेस में शामिल है। इस कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने की लिए बोली जमा करने की तारीख 1 अगस्त है। जर्मनी के रक्षा मंत्री पिस्टोरियस ने कहा कि हम TKMS से 6 सबमरीन बनाने के लिए बातचीत कर रहे हैं। अभी इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। लेकिन मुझे लगता है कि जर्मन उद्योग इसके लिए पूरी तरह दौड़ में शामिल है। भारत ने चीन को लेकर जर्मनी को किया सतर्कदोनों नेताओं की बैठक में भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) और हिंद महासागर के साथ-साथ प्रशांत क्षेत्र में चीन की विस्तारवादी नीतियों का जिक्र भी किया। बैठक में भारत ने ये भी कहा कि पाकिस्तान अपनी स्थानीय मुद्दों के कारण इस वक्त पूरी तरह से चीन के पाले में बैठ हुआ है। सूत्रों ने बताया कि भारत ने ये भी कहा कि पश्चिमी देशों को डिफेंस तकनीक को लेकर पाकिस्तान पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वो तकनीक चीन से शेयर कर दी जाएंगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा कंपनियां जर्मनी की डिफेंस उद्योग के साथ सप्लाई चेन में साझेदार हो सकती हैं। भारत ने जर्मनी को ये भी बताया कि चीन और पाकिस्तान के इतर नई दिल्ली एक जिम्मेदार लोकतंत्र है। इसलिए भारत को खास तवज्जो देने की जरूरत है। भारत एक भरोसेमंद साझेदार भी है। हिंद-प्रशांत मामले पर पिस्टोरियस ने कहा कि उनका देश भारत के साथ साझेदारी करने को लेकर इच्छुक है।