
ये होनहार सीए फाइनल के टॉप 50 में शामिल
सीए फाइनल की लिस्ट में जयपुर के 7 स्टूडेंट्स ने जगह बनाई है। जयपुर के मानसरोवर निवासी वैभव माहेश्वरी ने 800 में 589 अंक हासिल करते हुए ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल की। जयपुर की मिताली खंडेलवाल ने ऑल इंडिया 18वीं रैंक पाई है। मिताली ने 800 में से 572 अंक प्राप्त किए। योगेश लाखोटिया ने 20वीं रैंक पाई। योगेश ने 800 में से 569 अंक हासिल किए। खुशहाल खंडेलवाल ने 800 में से 565 अंक हासिल करते हुए 23वीं रैंक पाई। निहारिका जैन ने 800 में से 562 अंक हासिल करके 25वीं, प्रशांत गोयल ने 800 में से 559 अंक हासिल करते हुए 28वीं और श्रेयांश जैन ने 800 में से 548 अंक हासिल करते हुए 37वीं रैंक हासिल की है।
वैभव के पिता मानसरोवर में कचौरी बनाकर बेचते हैं…
सीए फाइनल रिजल्ट में ऑल इंडिया 10वीं रैंक हासिल करने वाले वैभव माहेश्वरी के पिता जयपुर में चाय और कचौरी की दुकान चलाते हैं। वे पिछले कई साल से इसी दुकान से परिवार का गुजारा करते हैं। सीए फाइनल का रिजल्ट जारी होने के बाद वैभव का कहना है कि पिता को अब चाय कचौरी बनाने का काम छोड़कर आराम करना चाहिए। हालांकि वैभव के पिता कहते हैं कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। इस काम की बदौलत उन्होंने अपने बेटे को पढ़ाया। इस काबिल बनाया कि आज उसने परिवार के साथ जयपुर का नाम रोशन कर दिया।
कभी किताबी कीड़ा नहीं बना – वैभव माहेश्वरी
वैभव माहेश्वरी का कहना है कि वह पढाई में शुरू से ही काफी होशियार था। नियमित रूप से 9 से 10 घंटे पढाई करता था। जब कभी तनाव महसूस होने लगता तो सोशल मीडिया पर कुछ देर के लिए अपने आप को व्यस्त कर लेता था। कभी कभी इंस्टाग्राम यूज करता तो कभी ओटीटी प्लेटफार्म पर मूवी देख लेता था। कई बार फैमिली मेम्बर्स के साथ घूमने के लिए जयपुर से बाहर निकल जाता था। वैभव ने बताया कि वे कभी किताबी कीड़ा बनकर नहीं पढ़े। नियमित रूप से अध्ययन करने के साथ खेलने में भी पूरा समय देते थे। फिजिकल रूप से फिट रहने के लिए फुटबॉल और क्रिकेट खेलना उन्हें काफी पसंद है।
कोरोना में मम्मी की नौकरी छूटी तो आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा
ऑल इंडिया 18वीं रैंक हासिल करने वाली मिताली खंडेलवाल का कहना है कि उनकी मां एक प्राइवेट स्कूल में पढाती थी लेकिन कोरोना के दौरान मां की नौकरी छूट गई तो परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई। आर्थिक संकट के बावजूद माता-पिता ने मुझे पूरी तरह सपोर्ट किया। माता पिता द्वारा कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी। इसी कारण मिताली अपना अध्ययन जारी रख पाई। मिताली ने बताया कि वे नियमित रूप से 12 से 13 घंटे तक पढाई करती थी। तब जाकर उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है।