ऐसी भाषा इस्तेमाल नहीं कर सकते…रामचरित मानस विवाद में HC से स्‍वामी प्रसाद मौर्य को बड़ा झटका

लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों की व्याख्या के लिए वरिष्‍ठ सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की खिंचाई की। अदालत ने कहा कि इन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझना जाना चाहिये। मौर्य को कई विद्वानों के स्पष्टीकरण से अलग अपनी स्वतंत्र व्याख्या देने का अधिकार है, लेकिन वह ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं कर सकते जिससे किसी समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हों।न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा कि चौपाई ‘ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी’ वास्‍तव में समुद्र ने श्रीरामचंद्र से इस आशय के साथ कही है कि वह स्‍वयं एक जड़-बुद्धि है और इस कारण से की गई भूल की क्षमा मांग रहा है। ऐसी परिस्थिति में स्‍वयं को जड़-बुद्धि मानने वाले एक पात्र द्वारा कहा गया कथन जब समस्‍त तथ्‍यों के संदर्भ के बिना प्रस्‍तुत किया जाता है तो यह सत्‍य का सही विरूपण नहीं हो सकता है। मौर्य ने अपनी व्‍याख्‍या का किया बचाव रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के मामले में प्रतापगढ़ अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग करने वाली मौर्य की याचिका को खारिज करते हुए अपने फैसले में यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है और इसलिए, निचली अदालत की कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता है। इससे पहले मौर्य ने चौपाइयों की अपनी विवादास्पद व्याख्याओं का बचाव किया था और पीठ को यह समझाने की कोशिश की थी कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। वकील संतोष कुमार मिश्रा की शिकायत के आधार पर मौर्य, सपा विधायक आरके वर्मा और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।