रैंप खोलकर विक्रम ने जैसे कहा हो- जाओ प्रज्ञान, इतिहास रच दो; चंद्रयान-2 भी भेज चुका 65 TB का खजाना

नई दिल्ली : चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने तो 23 अगस्त को ही शाम 6 बजकर 4 मिनट पर (Chandrayaan 3 ) इतिहास रच दिया था। तब उसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग (Chandrayaan 3 soft landing on moon) करके करीब 4 साल पहले चंद्रयान-2 की आंशिक असफलता के (India’s Moon Missions) दाग को भी धो दिया था। अब तो विक्रम के भीतर से रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyan moving on the moon) भी कब का बाहर आ चुका है और चांद की सतह पर चहलकदमी कर रहा है। विक्रम और प्रज्ञान दोनों पर लगे तमाम वैज्ञानिक उपकरण ऑन हो चुके हैं। काम कर रहे हैं और लगातार चांद से इसरो को डेटा भेज रहे हैं। चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर (Chandrayaan 2 Orbiter status) भी चांद की कक्षा में चक्कर लगाते हुए चंद्रयान 3 के लैंडर विक्रम का स्वागत कर रहा है। दोनों में संपर्क स्थापित हो चुका है और उनकी भी गुफ्तगू चल रही है। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर 2019 से ही वहां मौजूद है और न सिर्फ मौजूद है बल्कि पूरी तरह भला चंगा भी है। वह अबतक भारत को 65 टेट्राबाइट्स (TB) डेटा भेज चुका है। ये डेटा कितना है इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 1 टीबी डेटा में करीब 500 घंटी लंबी मूवी समा सकती है। बात करेंगे चंद्रयान 2 के भेजे विशाल डेटा की लेकिन पहले चंद्रयान-3 के उस ऐतिहासिक क्षण की बात जब रोवर प्रज्ञान ‘मूनवॉक’ के लिए निकलता है। उन ऐतिहासिक लम्हों का वीडियो जब प्रज्ञान लैंडर से उतरकर मूनवॉक के लिए जाता हैजब विक्रम और प्रज्ञान इतिहास रच रहे थे, उस ऐतिहासिक लम्हे को इसरो ने शुक्रवार को रिलीज किया है। इन पलों को लैंडर विक्रम पर लगे कैमरे ने कैद किया है। इसरो की तरफ से रिलीज वीडियो तब का है जब सॉफ्ट लैंडिंग के कुछ घंटे बाद चांद की सतह पर धूल का गुबार छंट चुका होता है और विक्रम के गेट खुलते हैं जिसमें से प्रज्ञान रैंप के जरिए ‘मूनवॉक’ के लिए उतरता है। वीडियो में दिख रहा है कि अपना 6 पहियों वाला प्रज्ञान रैंप से आहिस्ता-आहिस्ता स्लाइड करते हुए चांद की सतह पर उतर रहा है। गोल्डन कलर में दिख रहा प्रज्ञान इंडियन स्पेस हिस्ट्री का गोल्डन पीरियड रच रहा होता है। वीडियो में दिख रहा है कि प्रज्ञान रैंप से उतरकर चांद पर चहलकदमी कर रहा है और वहां अपनी छाप छोड़ रहा है। खास बात ये है कि वीडियो और तस्वीरों में चांद के दक्षिणी ध्रुव का सतह दिखने में ऐसा लग रहा है जैसे बहुत कठोर हो, चट्टान की तरह। लेकिन प्रज्ञान जब चांद पर चल रहा है तो उसकी सतह पर अपने पहियों की छाप भी छोड़ रहा है। पहियों के नीचे सतह थोड़ी सी दब जा रही है। प्रज्ञान का वजन महज 26 किलोग्राम है। इससे ये तो जाहिर है कि वहां चांद की सतह चट्टान जैसे कठोर नहीं है।विक्रम ने रैंप खोल जैसे प्रज्ञान के कान में कहा हो- इसी का तो इंतजार था, रच दो इतिहासप्रज्ञान के रैंप से उतरने के वीडियो को जारी करने के करीब साढ़े 4 घंटे बाद इसरो ने एक और वीडियो जारी किया। वीडियो 23 अगस्त का है। ये वीडियो रोवर प्रज्ञान के रोल-डाउन से ठीक पहले लैंडर विक्रम के रैंप और सोलर पैनल की तैनाती का है। वीडियो में दिख रहा है कि लैंडर विक्रम रोवर के उतरने के लिए रैंप को तैनात करता है। साथ में रोवर का सोलर पैनल भी तैनात होता है जिससे प्रज्ञान को चलने के लिए ऊर्जा मिल रही है। इस दो सेगमेंट वाले रैंप और रोल-डाउन मकैनिज्म को इसरो के बेंगलुरु स्थित यू आर राव सैटलाइट सेंटर ने डिजाइन और विकसित किया है। वीडियो को देखकर लग रहा है जैसे लैंडर विक्रम रोवर प्रज्ञान को उतरने के लिए रैंप बिछाते हुए कह रहा हो- जाओ प्रज्ञान, इतिहास रच दो। वह क्षण आ गया है जिसका करोड़ों भारतीय शिद्दत से इंतजार कर रहे हैं।चांद से अबतक 65 टीबी डेटा आ चुका है भारतचंद्रयान 3 भारत का तीसरा मून मिशन है। इससे पहले, इसरो ने 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया था। तब लैंडर चांद की सतह पर सही से नहीं उतर पाया था और उसकी क्रैशलैंडिंग से इसरो को तगड़ा झटका लगा था। इस बार वो दाग भी धुल गए। चंद्रयान-2 से पहले इसरो ने 2008 में चंद्रयान-1 मिशन लॉन्च किया था। ये वाकई गर्व का क्षण है कि धरती के इकलौते उपग्रह चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार किसी देश का लैंडर और रोवर उतरा है और ये ऐतिहासिक कामयाबी किसी और ने नहीं बल्कि अपने भारत ने हासिल की है। विक्रम और प्रज्ञान के सभी पेलोड जैसे-जैसे पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देंगे, वैसे-वैसे भारत के पास चांद से आए डेटा का जखीरा और ज्यादा समृद्ध होता जाएगा। फिलहाल भारत के 15 वैज्ञानिक उपकरण चांद, वहां से सूरज और धरती तक के तमाम पहलुओं का अध्ययन कर रहे हैं। खास बात ये है कि इन 15 उपकरणों में से 8 तो चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर पर लगे हैं जो 2019 से ही चांद के पास है।अबतक चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से भारत को चांद से जुड़े 65 टीबी से ज्यादा डेटा मिल चुके हैं। इनमें से ज्यादातर डेटा ऑर्बिटर के सिर्फ 4 बड़े उपकरणों से मिले हैं- टेरेन मैपिंग कैमरा (टीएमसी), इमेजिंग इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (IIRS), ऑर्बिटर हाई रिजोलूशन कैमरा (OHRC) और डुअल फ्रीक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रेडार (DESAR)। इन चारों उपकरणों से ही करीब 60 टीबी डेटा मिल चुके हैं।इन उपकरणों को स्पेस अप्लिकेशंस सेंटर (SAC) ने तैयार किया है। SAC के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘अगस्त 2019 से चांद की कक्षा में मौजूद ऑर्बिटर ने अपने 8 अत्याधुनिक उपकरणों के जरिए चंद्रमा के विकास, वहां खनिजों की संभावना और ध्रुवीय क्षेत्रों में पानी की मौजूदगी को लेकर हमारी समझ को लगातार समृद्ध किया है। इनमें से 4 उपकरणों को तो हमने तैयार किया है।’ करीब 4.5 टीबी डेटा तो सोलर एक्स-रे मॉनिटर से आए हैं जो सूरज से आने वाली एक्स किरणों का पता लगाता है। इसे फीजिकल रिसर्च लैबोरेटरी ने तैयार किया है। चांद से आए इस विशाल डेटा का इस्तेमाल आज दुनियाभर में तमाम साइंटिफिक पेपर्स में हो रहा है।