राज्यसभा चुनाव में उलटफेर कर बीजेपी ने विपक्षी दलों के मनोबल को चुनाव से पहले ही तोड़ दिया?

नई दिल्ली : केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी ने 2024 के रण में अपनी रणनीति साफ कर दी है। उनका टारगेट अपने गठबंधन एनडीए की सीटें 400 पार कराने का है। पार्टी आलाकमान अपने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगातार एक्शन मोड पर दिख रहा है। उनकी इस रणनीति का ही असर है विपक्षी एकता के नाम पर बना INDIA गठबंधन लगातार मुंह की खाता दिख रहा है। इसका ताजा उदाहरण एक दिन पहले संपन्न हुए राज्यसभा चुनाव में सामने आया। जब इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रिजल्ट रहा हिमाचल प्रदेश का, जहां सूबे की सत्ताधारी कांग्रेस बहुमत होते हुए भी अपनी ही पार्टी के राज्यसभा कैंडिडेट अभिषेक मनु सिंघवी को नहीं जिता सकी। यूपी में भी ऐसा ही कुछ नजर आया जब की सपा में खेला हुआ, जिसमें पार्टी का तीसरा राज्यसभा उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर सका। हिमाचल और यूपी दोनों ही जगह बीजेपी उम्मीदवार ने बाजी मारी।कांग्रेस-सपा के साथ हो गया खेल जानिएदोनों ही राज्यों में इंडिया गठबंधन के दो बड़े दलों कांग्रेस और सपा को जिस तरह की शिकस्त मिली वो पार्टी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े करता है। पहला सवाल ये कि दोनों ही पार्टियां अपने विधायकों को खुद से जोड़ने रखने में असफल रहे। दूसरा रहा क्रॉस वोटिंग का खेल, जिसमें कांग्रेस और सपा दोनों के ही विधायकों ने अपने नेतृत्व पर भरोसा न जताकर बीजेपी को सपोर्ट करने का फैसला लिया। इन नतीजों ने कहीं न कहीं इंडिया अलायंस की लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियों की भी पोल खोलकर रख दी। जब दोनों ही दल अपने विधायकों को नहीं संभाल पा रहे तो लोकसभा चुनाव के बाद अपने सांसदों का भरोसा कैसे जीत पाएंगे।कांग्रेस में नेतृत्व क्षमता का दिख रहा अभाव!लोकसभा चुनाव में भले ही अभी वक्त हो लेकिन इससे ठीक पहले सामने आए राज्यसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्षी एकता की पोल खोलकर रख दी। चाहे यूपी हो या हिमाचल, दोनों ही राज्यों में इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को जोर का झटका लगा है। खास तौर पर जिस तरह से हिमाचल में कांग्रेस की सरकार होते हुए खेला हुआ वो चौंकाने वाला है। यहां कांग्रेस के 6 विधायकों ने बगावती तेवर अख्तियार करते हुए न केवल राज्यसभा चुनाव में बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की, सरकार को भी मुश्किल में डाल दिया। इसी के चलते राज्यसभा उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को शिकस्त का सामना करना पड़ा। सूबे में कांग्रेस के 40 विधायक थे। ये तय माना जा रहा था कि सिंघवी जीत जाएंगे, उधर बीजेपी से हर्ष महाजन कैंडिडेट थे। हालांकि, कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख सकी। इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल गया। सिंघवी हार गए और हर्ष महाजन जीत गए।हिमाचल-यूपी में बीजेपी की जीत से विपक्ष के मनोबल पर असरयूपी में भी कुछ ऐसा ही सीन नजर आया जब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन में उतरने जा रही सपा के तीन विधायकों ने पार्टी को जोर का झटका दे दिया। यहां सपा ने दो सीटें तो अपने नाम कर ली लेकिन तीसरी सीट बीजेपी के कब्जे में चली गई। वहीं राज्यसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया कि चाहे सपा हो या कांग्रेस, वो अपने नेताओं को साधने में विफल रहे। कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि गुटबाजी तो हर पार्टी में होती है लेकिन सवाल यही है कि कैसे सियासी दल इसे किसी बड़े मौके पर संभाल सकते हैं। यूपी बीजेपी में भी कई ऐसे मौके आए जब गुटबाजी की चर्चाएं सामने आई। हालांकि, बीजेपी आलाकमान ने हर जगह स्थिति को संभालने के लिए जरूरी कवायद की। इसी का नतीजा है कि पार्टी लगातार जीत दर्ज कर रही।कैसे बीजेपी को टक्कर देगा INDIA ब्लॉकफिलहाल राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया उससे विपक्षी INDIA ब्लॉक की मुश्किलें जरूर बढ़ी हैं। विपक्षी गठबंधन कैसे खुद को एकजुट रखे इसी माथापच्ची में जुटा है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर वो लोकसभा चुनाव में कैसे मोदी मैजिक का सामना करेंगे। शायद ये बात बीजेपी भी समझ रही है। तभी तो उन्होंने अपनी पार्टी के लिए 370 सीटों का लक्ष्य सेट किया है। यही नहीं अपने एनडीए गठबंधन के लिए 400 पार का नारा तो खुद पीएम मोदी ने संसद में दिया। उनके इस टारगेट की वजह कहीं न कहीं देश में पार्टी के लिए बना माहौल ही है। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दल और खास तौर पर कांग्रेस कैसे आगामी लोकसभा चुनाव में मजबूती से खड़े होकर बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी?