मॉस्को: भारत और रूस पिछले छह दशक से मजबूत रणनीतिक साझीदार है। पिछले तीन दशकों में यह रिश्ता और मजबूत हुआ है। वहीं, ब्रिटेन वह देश है जिसने भारत पर 100 साल तक राज किया। गुलामी का यह ऐसा दाग है जिसे वह चाहकर भी नहीं धो सकता है। ऐसे में जब ब्रिटेन ने रूस को ट्रोल करने की कोशिश की तो उसे भी उसका वह इतिहास बताया गया जो कलंक की तरह माथे पर चिपका है। इस पूरी घटना का सोशल मीडिया पर जमकर जिक्र हो रहा है। लोग रूस की तारीफ कर रहे हैं और उसकी दोस्ती की मिसाल दे रहे हैं। क्या था सारा मामला दरअसल रूस के विदेश मंत्रालय की तरफ से एक ट्वीट किया गया था। इस ट्वीट में रूसी सरकार की तरफ विदेश नीति के बारे में बताया गया था। विदेश मंत्रालय ने लिखा था, ‘रूस की विदेश नीति शांतिपूर्ण, आजाद, उम्मीद के मुताबिक, स्थिर और व्यावहारिक है। यह विदेश नीति सावैभौमिक तौर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांतों का सम्मान और अंतरराष्ट्रीय कानून को मानने वाली है।’ इस पर यूके के विदेश मंत्रालय की तरफ से ट्वीट का स्क्रीनशॉट शामिल करते हुए जवाब दिया गया, ‘अप्रैल फूल कल है।’ इसके बाद रूसी विदेश मंत्रालय ने यूके को वापस जवाब दिया। उसने लिखा, ‘अप्रैल फूल! आपके लिए हम नीचे एक लिंक दे रहे हैं।’रूस ने दिखाया आईना जो लिंक विदेश मंत्रालय ने शेयर किया, वह ब्रिटेन की असलियत बताने वाला था। इसी लिंक में उसने बताया था कि कैसे ब्रिटेश की राज करने वाली नीति ने भारत के लोगों का नुकसान किया और उन पर अत्याचार किए। रूसी विदेश मंत्रालय ने आंकड़ों के हिसाब से बताया कि दुनियाभर के लेखकों ने भी लिखा है कि कैसे 100 मिलियन भारतीय सन् 1880 से 1920 तक ब्रिटेन की भेदभाव वाली नीतियों का शिकार बनते रहे। रूसी विदेश मंत्रालय ने बताया है कि उस दौरान अंग्रेजों की तरफ से की गई जनगणना के आंकड़ों पर अगर यकीन करें तो सन् 1880 के दशक में 37.2 प्रति 1,000 लोग वाली मृत्यु दर सन् 1910 के दशक में 44.2 फीसदी तक बढ़ गई थी। साथ ही साथ भारतीयों की जीवन प्रत्याशा भी 26.7 से 21.9 वर्ष तक गिर गई थी। चर्चिल की नफरत का जिक्र सिर्फ इतना ही नहीं रूस ने उस समय ब्रिटेन के पीएम रहे विंस्टन चर्चिल के एक बयान का जिक्र भी किया है। चर्चिल ने बंगाल में भयानक घटनाक्रम के बारे में जो बयान दिया वह पूरी तरह से नस्लवादी था। चर्चिल ने कहा था,’ मुझे भारतीयों से नफरत है। वे पाशविक धर्म वाले पाशविक लोग हैं।’ सिर्फ इतना ही नहीं चर्चिल ने अकाल से लड़ने के उपायों की कमी के लिए तर्क दिया कि भारतीय हमेशा खरगोशों की तरह बच्चे पैदा करेंगे। इस तर्क से उन्होंने अकाल को भी सही ठहरा दिया था। रूस की तरफ से भारतीय अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक की तरफ से बताए गए तथ्य को भी सामने लाया गया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि औपनिवेशिक काल के दौरान, ब्रिटिश साम्राज्य, भारत से 9.2 ट्रिलियन पौंड यानी 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति चोरी कर ली थी। इसकी गणना उस समय की कीमतों में की गई थी।