
रिपब्लिक वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी विदेश मंत्रालय ने यह बयान दिया। विदेश मंत्रालय ने अपने आंकड़ों के लिए आर्थिक मानवविज्ञानी जेसन हिकेल और डायलन सुलिवन के शोध का हवाला दिया। रूस ने ब्रिटेन पर भारत को लूटने का आरोप लगाने के साथ ही तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल की भारत में नीतियों की निंदा की। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘1880 से 1920 तक भारत के लगभग 16 करोड़ लोगों की मौत हुई और ब्रिटेन ने खरबों डॉलर की संपत्ति लूट ली।’
ब्रिटेन के कारण भारत में मरे लोग
ब्रिटेन पर जब भारत को लूटने के आरोप लगाए जाते हैं तो हर बार एक ऐसा ग्रुप भी दिखता है जो दावा करता है, कि उपनिवेश ने भारत पर सकारात्मक प्रभाव डाले। रूसी विदेश मंत्रालय ने इस कथित सकारात्मक प्रभाव की भी निंदा की है। रूस ने हिकेल और सुलिवन के अध्ययन का हवाला देते हुए कहा, ‘भारत में 1880 के दशक में मृत्यु दर एक हजार व्यक्ति में 37.2 थी, जो 1910 के दशक में बढ़कर 44.2 हो गई। भारतीयों की जीवन प्रत्याशा भी इस दौरान 26.7 वर्ष से घट कर 21.9 वर्ष हो गई।’
विंस्टन चर्चिल के नस्लवाद की दिलाई याद
रूस ने इस दौरान उस समय का भी जिक्र किया जब दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था। रूस ने कहा कि 1943 में तत्कालीन पीएम विंस्टन चर्चिल ने निर्णय लिया था कि भारत से अनाज को ब्रिटेन भेजा जाए। इसी कारण अकेले बंगाल में लाखों भारतीय भूख से मारे गए थे। रूस ने विंस्टन चर्चिल की नस्लवादी टिप्पणी की भी याद दिलाई, जिसके मुताबिक चर्चिल ने कहा था, ‘मुझे भारतीयों से नफरत है। वे पशुओं की तरह हैं, उनका धर्म भी पाशविक है।’ रूस की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब ब्रिटेन ने यूक्रेन को टैंक देने की घोषणा की है।