घंटों में ब्रिटेन लाइन पर आ गया, लंदन में भारतीय उच्‍चायोग में पहरा बढ़ने का मैसेज समझिए

नई दिल्‍ली: भारत अब जवाब देता है। चुपचाप बैठने की उसकी पुरानी आदत बदल चुकी है। चंद घटों में उसने ब्रिटेन को लाइन में ला दिया। मोदी सरकार के कड़े ऐक्‍शन का असर लंदन में तुरंत दिखाई दिया। लंदन में भारतीय उच्‍चायोग के बाहर सुरक्षा पहरा बढ़ा दिया गया। खालिस्‍तान समर्थकों ने तीन दिन पहले की तर्ज पर दोबारा यहां प्रदर्शन की योजना बनाई थी। ब्रिटेन ने यह कदम भारत की कार्रवाई के कुछ घंटों बाद उठाया। नई दिल्‍ली में ब्रिटिश एम्‍बेसी के बाहर से अधिकारियों ने बैरिकेड्स हटा दिए थे। इसे नाराजगी जाहिर करने के संकेत के तौर पर देखा गया था। तीन दिन पहले भारतीय उच्‍चायोग में हुए प्रदर्शन ने ब्रिटेन की सुरक्षा पर सवाल खड़े किए थे। यह उसकी नाकामी दिखाता है। भारत ने जैसे ही ब्रिटेन को उसी के अंदाज में जवाब दिया, उसकी अक्ल ठिकाने आ गई। रूस-यूक्रेन मसले पर भी ब्रिटेन को विदेश मंत्री जयशंकर ने आईना दिखाया था। ब्रिटेन में बैठकर उन्‍होंने साफ कर दिया था कि भारत की प्राथमिकताएं यूरोप नहीं तय कर सकता है। जो समस्‍या अमेरिका और यूरोप की है। जरूरी नहीं कि दुनिया की हो। 19 मार्च को खालिस्‍तान समर्थकों ने लंदन में भारतीय उच्‍चायोग में दाखिल होने की कोशिश की थी। उच्‍चायोग के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया था। यहां लगे तिरंगे को हटाने का दुस्‍साहस किया था। इसने समूचे भारत का खून खौला दिया था। भारतीयों ने इसका तीखा विरोध किया। इसके जवाब में वहां बसे भारतीयों ने लंदन की सड़कों को तिरंगों से पाट दिया। पूरे ब्रिटेन में ‘जय हो’ की गूंज सुनाई दी। लोगों ने तो जवाब दे दिया था। अब बारी सरकार की थी। सरकार ने भी तबीयत से जवाब दिया। सुनने में आया कि खालिस्‍तान समर्थकों ने दोबारा लंदन में भारतीय उच्‍चायोग के बाहर प्रदर्शन का प्‍लान बनाया है। ब्रिटेन इसे लेकर हीलाहवाली के मूड में था। भारत ने भी बिल्‍कुल वही मूड बना लिया। उसने नई दिल्‍ली में ब्रिटिश उच्‍चायुक्‍त से बैरिकेड्स हटा लिए। मैसेज साफ था। किसी भी ऐरे-गैरे के लिए रास्‍ता खुला है। तुम हाथ पर हाथ धरे बैठोगे तो हमें भी नहीं पड़ी है। जैसे को तैसा वाला जवाब मिलते ही ब्रिटेन हरकत में आ गया। उसने लंदन में भारतीय उच्‍चायोग की सुरक्षा बढ़ा दी। चंद घंटों में ब्रिटेन लाइन पर लौट आया। चुपचाप बैठने वाला भारत गया, अब देता है जवाब यह साफ है कि भारत अब चुप नहीं बैठता है। उसे जवाब देना आता है। इसका तरीका भी उसे पता है। हाल में जब विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरोप दौरे पर गए थे तब भी उन्‍हें कई मोर्चों पर घेरने की कोशिश की गई थी। लेकिन, उन्‍होंने हर सवाल का जवाब बेबाकी से दिया। इन जवाबों ने सबका मुंह धुआं कर दिया था। रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर करीबी दोस्‍त से पेट्रोल खरीदने तक भारत से सवाल किए गए थे। पाकिस्‍तान तक का जिक्र लाया गया था। हर सवाल के जवाब से जयशंकर ने बोलती बंद करा दी थी। आज हर सवाल का जवाब है भारत के पास रूस के साथ करीबी रिश्‍तों पर जब सवाल उठाए गए तो जयशंकर ने मुंह फेरा नहीं बल्कि डटकर जवाब दिया। उनसे जब पूछा गया कि क्‍या भारत हथियारों पर निर्भरता के कारण रूस की आलोचना से हिचक रहा है तो उन्‍होंने फौरन जवाब दिया। उन्‍होंने कहा था कि ऐसा बिल्‍कुल नहीं है। रूस और भारत का पुराना रिश्‍ता है। जब पश्चिमी लोकतांत्रिक देश सैन्‍य तानाशाही वाले मुल्‍क पाकिस्‍तान को हथियारों से पाटने में लगे थे यह रिश्‍ता उस वक्‍त से है। सवाल उठाने वालों को इतिहास के पन्‍ने पलटने चाहिए। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से बढ़ते तेल आयात पर भी उन्‍होंने तीखा जवाब दिया था। जयशंकर ने कहा था कि यूरोप ने भारत से छह गुना ज्‍यादा तेल रूस से आयात किया है। जब वे अपनी ऊर्जा जरूरतों को देख सकते हैं तो भारत को इसका हक क्‍यों नहीं है। जयशंकर ने साथ ही यह बात भी कही थी कि यूरोप भारत की प्राथमिकताएं तय नहीं कर सकता है। यूरोप और अमेरिका की समस्‍याएं जरूरी नहीं कि दुनिया की समस्‍याएं हों।