2023 में फिर अविश्वास प्रस्ताव लाना… मोदी ने तब कहा था, आज सच हो रही वो बात

नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। ऐसे समय में पीएम मोदी का एक पुराना वीडियो ट्विटर पर छाया हुआ है। हां, यह वीडियो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पूरे होने के समय का है। पीएम लोकसभा में अपना भाषण देने के लिए खड़े हुए थे। उन्होंने कुछ समय पहले अपनी सरकार के खिलाफ पेश किए गए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर जमकर सुनाया था। 45 सेकेंड के वीडियो में उनका आक्रामक अंदाज महसूस किया जा सकता है। उसी समय यानी आज से करीब पांच साल पहले ही पीएम ने भविष्यवाणी कर दी थी कि विपक्ष 2023 में फिर से अविश्वास प्रस्ताव लाएगा। आज वह बात सच साबित होने जा रही है। 2023 में फिर से…जी हां, आज मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय में नोटिस दिया जा चुका है। 2019 में अपनी धारदार स्पीच के दौरान मोदी ने कई बातें कही थीं। तारीख थी 7 फरवरी 2019 और मोदी ने कहा था, ‘आप इतनी तैयारी करो, इतनी तैयारी करो कि 2023 में फिर से आपको अविश्वास प्रस्ताव लाने का मौका मिले।’ इस पर कुछ सदस्य ठहाका लगाने लगे थे। बगल में बैठे राजनाथ सिंह भी मुस्कुरा दिए थे। खरगे बोल पड़े, अहंकार की बातउस समय वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी लोकसभा में बैठे थे। उन्होंने झट से कहा था कि यही अहंकार की बात है। तब मोदी ने आक्रामक लहजे में कहा था कि ये समर्पण भाव है, ये समर्पण भाव है। कांग्रेस की तरफ उंगली करते हुए मोदी ने कहा था कि अहंकार का परिणाम है कि 400 से 40 हो गए और सेवा भाव का परिणाम है कि 2 से यहां आकर बैठ गए। आप कहां से कहां पहुंच गए। अरे, मिलावटी दुनिया में जीना पड़ रहा है। जुलाई 2018 में विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इसके समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे जबकि खिलाफ में 325 सांसदों ने वोट किया था। अविश्वास गिरेगा फिर प्रस्ताव क्यों?आज विपक्षी दलों का अविश्वास प्रस्ताव संख्याबल के लिहाज से गिरना तय है लेकिन उनकी दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरकर पर्सेप्शन की फाइट जीत जाएंगे। अविश्वास प्रस्ताव का परिणाम पहले से तय है क्योंकि संख्याबल साफ तौर पर भाजपा के पक्ष में है और विपक्षी समूह के निचले सदन में 150 से कम सदस्य हैं।विपक्षी दलों का तर्क है कि यह मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संसद में बोलने के लिए मजबूर करने की रणनीति है। दरअसल, सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि मणिपुर की स्थिति पर चर्चा का जवाब केवल गृह मंत्री देंगे।