अयोध्‍या की मस्जिद के लिए जम-जम के पानी से धुलकर आई ईंट, जानें मक्का के 5000 साल पुराने रहस्‍यमय कुएं की कहानी

रियाद: अयोध्या की की नींव रखने के लिए सऊदी अरब से ईंट आई है। मस्जिद-ए-मोहम्मद बिन अब्दुल्ला नाम से बनने वाली इस मस्जिद की ईंद को मक्का में पवित्र जमजम के पानी से धोया गया और मदीना के इत्र का छिड़काव किया गया। इसके बाद इस ईंट को भारत लाया गया है, जिस पर कुरान की आयत खुदी हुई है। मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष हाजी अराफात शेख ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रमजान के बाद ईंट अयोध्या लाई जाएगी। इस ईंट को मुंबई से पहले सऊदी भेजा गया था और फिर वापस लाया गया। ईंट को जमजम से धुलने की वजह मुस्लिमों की इस पवित्र जल से जुड़ी आस्था है।मक्का स्थित कुए जमजम से निकलने वाली पानी का इस्लाम के मानने वालों के लिए बेहद महत्व है। इस कुएं का इतिहास करीब पांच हजार साल पुराना माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह इस्लाम के चमत्कारों में से एक है। मान्यता के मुताबिक, जमजम कुआं पहली बार 5,000 साल पहले पैगंबर इस्माइल के पैरों के नीचे से निकला था, जब उनकी मां हाजिरा, इब्राहिम की दूसरी पत्नी, अपने प्यासे बेटे को बचाने के लिए पानी की तलाश में सफा और मारवाह की दो पहाड़ियों के बीच सात बार दौड़ी थीं।इस कुएं के पानी में नहीं मिलती कोई अशुद्धिकुएं का नाम जोमजोम से आया है, जिसका अर्थ है “बहना बंद करो”। कहा जाता है कि हाजरा ने झरने के पानी को रोकने के लिए जोर से ये कहा था। इसी के चलते जमजम नाम पड़ा। इस कुएं का पानी बेहद साफ है और खास बात ये है कि कई साल तक रखे रहने पर भी इस पानी में काई, कीड़े, फंगस या कोई अशुद्धियाँ नहीं होती हैं। इसमें सामान्य अलवणीकृत पानी की तुलना में प्राकृतिक खनिजों का उच्च स्तर होता है। इस कारण से, इसका स्वाद अलग, भारी होता है। हज के लिए जाने वाले यात्री अपने साथ इस पानी को लाते हैं और अक्सर कई साल तक घर में रखे रहते हैं। जमजम के कुएं का विकास और रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण रहा है। इस जल स्रोत को कई तरीकों से सदियों से संरक्षित रखा गया है। एक छोटे समय को छोड़कर इस कुएं ने पवित्र पानी देना कभी बंद नहीं किया है। इस कुएं की रक्षा पैगंबर मुहम्मद के दादा अब्द अल-मुत्तलिब बिन हाशिम ने की थी। इसके बाद खलीफाओं ने इस कुएं का ध्यान रखा और फिर ये सऊदी अरब की सरकार के संरक्षण में आ गया। किंग अब्दुल्ला के शासनकाल के दौरान कुएं के रखरखाव के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया गा। हाजी बढ़े तो बदल दिए गए तरीकेहाजियों की संख्या बढ़ने लगी तो जम जम के पानी की मांग भी बढ़ी। ऐसे में पानी को पंप करने, फिल्टर करने, वितरित करने और भरने के नए तरीके शुरू किए गए। पानी को बोतलों में बंद करके देने का काम शुरू हुआ। यहां तक कि अब हज यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए हवाई अड्डों पर जम जम के पानी के कंटेनर वितरित किए जाते हैं। जमजम का पानी की ऑनलाइन खरीद राष्ट्रीय जल कंपनी की परियोजना का एक हिस्सा है। जमजम पानी सऊदी इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच एचएनएके के माध्यम से वितरित किया जाता है, जो होम डिलीवरी सेवा भी प्रदान करता है। और डेटा अधिग्रहण नेटवर्क की ऑप्टिकल फाइबर तकनीक के माध्यम से भंडारण और पाइपलाइनों की निकासी, पंपिंग और निरंतर निगरानी की जाती है। इस तकनीक से जमजम पानी के प्राकृतिक खनिजों की गुणवत्ता को पंपिंग और फिल्टरिंग के सबसे उपयुक्त तरीकों को निर्धारित करने के लिए किए गए सावधानीपूर्वक शोध के अनुसार संरक्षित और बनाए रखा जाता है। मक्का में ज़मज़म पानी के लिए एक विशेष प्रयोगशाला पानी के विभिन्न नमूनों को ट्रैक करती है और उनका परीक्षण करती है, जिनका पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए साप्ताहिक आधार पर विश्लेषण किया जाता है।