पेंशन स्कीम: कांग्रेस के झटके से बैकफुट पर बीजेपी, अब बनाना होगा ‘महाप्लान’

नई दिल्ली: कांग्रेस के कई राज्यों में लागू होने और उसके चुनावी फायदे ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सोचने पर मजबूर कर दिया है। इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और भगवा दल वहां इसके चुनावी नफा-नुकसान का आकलन कर रहा है। कांग्रेस ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के नाम पर हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा था। पार्टी को वहां बड़ी जीत मिला और राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया गया है। निश्चित तौर इस मुद्दे ने कांग्रेस को बढ़त दी है और अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले बीजेपी सतर्क हो गई है। पार्टी अब इसकी तोड़ निकालने के लिए ‘महाप्लान’ पर काम कर रही है। इस साल कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीगसढ़ जैसे अहम राज्यों में चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी एक ऐसे स्कीम पर विचार कर रही है जिससे कांग्रेस का तोड़ निकाला जा सके। कांग्रेस ने कर दिया मजबूर?कांग्रेस की हिमाचल में बड़ी जीत ने बीजेपी को अपने स्टैंड पर सोचने को मजबूर तो कर ही दिया है। कांग्रेस की राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकार ने भी राज्य में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दिया है। खास बात ये है कि इन राज्यों में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। बीजेपी को डर है कि यहां भी हिमाचल वाला झटका उसे न लग जाए। ऐसे में बीजेपी कुछ विकल्पों पर विचार कर रही है, जिससे कांग्रेस की ओल्ड पेंशन स्कीम वाली बढ़त को रोका जा सके। बहरहाल, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह से पार्टी ने ओल्ड पेंशन स्कीम का प्रचार किया है उससे पार्टी को इन विधानसभा चुनावों में बढ़त का अनुमान है। बीजेपी को इस बात का इल्म है और पार्टी इन चुनावों में अब कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है। न्यू पेंशन स्कीम का विकल्प ढूंढ रही बीजेपी सरकारी कर्मचारी पिछले काफी वक्त से ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक मोदी सरकार और पेंशन रेगुलटेर के बीच तीन अलग-अलग विकल्पों पर चर्चा चल रही है। सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह पेंशन देने के मुद्दे पर विचार तो कर रही है लेकिन इसके लिए कर्मचारियों से भी अंशदान लिया जाएगा। यानी कर्मचारी की अंतिम सैलरी के आधे रकम के बराबर पेंशन तो मिले पर उसके लिए कर्मचारी खुद भी योगदान करते रहें। दूसरा विकल्प है कि मौजूदा एनपीएस सिस्टम में ही न्यूनतम पेंशन तय कर दी जाए। तीसरा विकल्प ये है कि अटल पेंशन योजना की तरह सबको एक न्यूनतम पेंशन की गारंटी दी जाए। बीजेपी की चिंता का कारण भी समझिए दरअसल, 2024 चुनाव से पहले बीजेपी की चिंता का वाजिब कारण भी है। बीजेपी कार्याकारिणी की बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि ये सोच रखना सही नहीं है कि हर बार मोदी आकर जीत दिला देगा। उन्होंने पार्टी के नेताओं को जमीन पर जाकर मेहनत करने की सीख दी थी। हिमाचल प्रदेश चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस से मिली हार के बाद भगवा दल भी सतर्क हो गया है। पीएम मोदी के बयान को उसी से जोड़कर देखा गया। वैसे भी कांग्रेस ने जिस तरह से ओल्ड पेंशन स्कीम पर बीजेपी को घेरा है, उससे पार्टी बैकफुट पर आ गई है। बीजेपी को दिल्ली एमसीडी चुनावों में भी हार का सामना करना पड़ा था। यानी भगवा दल की टेंशन जायज है। कांग्रेस हो गई है आक्रामक ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर कांग्रेस अब आक्रामक हो गई है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी इसपर भी चर्चा करते थे। पार्टी अब दूसरे राज्यों में भी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की बात कह रही है। 2024 के आम चुनाव से पहले पार्टी इस साल होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी में भी इसे मुद्दा बना सकती है। कांग्रेस के इस दांव से बचने के लिए अब बीजेपी ने भी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हां इतना जरूर है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी को बैकफुट पर जरूर धकेल दिया है। पार्टी अब इशकी काट ढूंढ रही है क्योंकि 2024 के चुनाव में बस एक साल का वक्त है जबकि इस साल 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव तो हैं ही।