शिमला: हिमाचल प्रदेश के राज्यसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। राज्य की एकमात्र राज्यसभा सीट पर कांग्रेस को पटखनी देते हुए बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। वहीं सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली राज्य की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं? ऐसे में आलाकमान ने कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को हिमाचल भेजा है। उनके साथ भूपेन्द्र हुड्डा को भी कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश जाने को कहा है। दोनों नेता कांग्रेस के नारोज विधायकों से बात करेंगे। दरअसल कांग्रेस विधायक मुख्यमंत्री को बदलने के बाद ही किसी तरह के संवाद के मूड में। ऐसे में हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा है। चूंकि कल हिमाचल प्रदेश का बजट पेश होना है। इस दौरान बीजेपी ने कल ही सदन में बजट पास कराने के लिए मत विभाजन की मांग की है। हिमाचल प्रदेश के एलओपी जयराम ठाकुर ने कहा है कि इस जीत को देखते हुए हिमाचल प्रदेश के सीएम को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। महज एक साल के भीतर ही विधायकों ने उनका साथ छोड़ दिया है। तो आप कल्पना कर लीजिए। राज्य सरकार संकट की स्थिति में हिमाचल के ताजा घटनाक्रम पर संवैधानिक मामलों के जानकारों का कहना है कि क्रॉस वोटिंग की वजह से बीजेपी की जीत हुई है। इससे साफ है कि कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाई लेकिन सरकार सदन में अल्पमत में आ गई है यह कहना जल्दबाजी होगी। इतना तय है कि राज्य सरकार संकट की स्थिति में तो है। बहुमत का रास्ता फ्लोर टेस्ट से तय होता है। ऐसे में आने वाले दिनों में सदन में ही तय हो सकेगा कि सरकार बहुमत में है या नहीं।बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन चुने गए हिमाचल प्रदेश की एकमात्र राज्यसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी हर्ष महाजन चुने गए हैं। इसके बाद क्या राज्य की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छा गए हैं? इस पर संवैधानिक मामलों के एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्रॉस वोटिंग की वजह से बीजेपी की जीत हुई है। साफ है कि कांग्रेस अपने विधायकों को एकजुट नहीं रख पाई, लेकिन सरकार सदन में अल्पमत में आ गई है यह कहना जल्दबाजी होगी। इतना तय है कि राज्य सरकार संकट की स्थिति में तो है। बहुमत का रास्ता फ्लोर टेस्ट से तय होता है। ऐसे में आने वाले दिनों में सदन में ही तय हो सकेगा कि सरकार बहुमत में है या नहीं।सदन में होगा साबितलोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल पीडीटी आचारी कहते हैं कि हिमाचल विधानसभा में कुल 68 सीटों में कांग्रेस के 40 विधायक हैं। फिर भी कांग्रेस का प्रत्याशी हारा। यहां इस बात को समझना होगा कि राज्यसभा चुनाव में जो भी वोट डालता है वह पार्टी को पता होता है कि किसने उनके कैंडिडेट को वोट दिया है और किसने नहीं। हालांकि, इसके लिए कोई विप नहीं होता है। ऐसी स्थिति में जब सदन में बहुमत का मसला आएगा तो सरकार यह देखेगी कि उनके पास बहुमत बचा हुआ है या नहीं। अगर यह मान लिया जाए कि जिसने क्रॉस वोटिंग की है वह सदन में भी सरकार के खिलाफ वोटिंग करेगी तो फिर सरकार मुश्किल में पड़ सकती है।बजट पास न होने पर भी सरकार गिर जाएगीआचारी कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश में बजट सेशन शुरू होने वाला है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार जिन लोगों ने क्रॉस वोटिंग की है उनके खिलाफ आयोग्यता कार्रवाई के लिए शायद ही जाए क्योंकि उन्हें सदन में बहुमत चाहिए। अगर सरकार अल्पमत में होगी तो बजट पास नहीं होगा और सरकार खुद-ब-खुद गिर जाएगी। विरोधी दल अगर अविश्वास प्रस्ताव पेश कर देते हैं तब पार्टियां अपने विधायकों के लिए विप जारी करती हैं। विप का उल्लंघन कर सत्तापक्ष के लोग सरकार के खिलाफ वोट करते हैं और सरकार अल्पमत में आ जाए तो यह गिर जाएगी।अयोग्यता का मामलासंवैधानिक जानकार बताते हैं कि दो स्थिति में विधायकों की अयोग्यता के लिए कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के सामने आवेदन दे सकती है। आचारी कहते हैं कि पहली स्थिति यह होती है कि अगर विधायक ने सदन में पार्टी विप के खिलाफ वोटिंग की हो तो आवेदन दाखिल किया जा सकता है। दूसरी स्थिति यह है कि अगर पार्टी विधायक पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल हो जैसे कि राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की हो तो इस आधार पर भी अयोग्यता के लिए आवेदन दाखिल किया जा सकता है।दल-बदल कानून कब?दल-बदल कानून तब लागू नहीं होता जब पूरी पार्टी का ही विलय हो जाए। लेकिन पार्टी से टूटकर कुछ विधायक या सांसद विरोधी खेमे में मिल जाएं तो वहां दल-बदल कानून लागू होता है। जब तक पार्टी का विलय न हो पार्टी से टूटकर अलग होने वाला खेमा अयोग्य करार दिया जा सकता है। फिलहाल यह सब दूर की बात है क्योंकि सरकार जब अल्पमत में आती है तो उसे इस्तीफा देना होता है। इतना तय है कि राज्यसभा चुनाव के परिणाम ने कांग्रेस सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है।